जब हम सांस लेते हैं तो हवा शरीर के अंदर पांच जगह पर स्थिर हो जाती है। पांच भागों में गई हवा पांच तरह से फायदा पहुंचाती है। लेकिन बहुत से लोग ऐसे हैं जो साँस तो लेते हैं लेकिन हवा सभी अंगों को नहीं मिल पाती है जिसके कारण वे बीमार रहते हैं। प्राणायाम इसलिए किया जाता है ताकि सभी अंगों को भरपूर हवा मिल सकें और हम स्वस्थ रहें।
1. कपालभाति प्राणायाम - Kapalbhati Pranayam (Rapid Exhalation)
किसी भी आरामदायक स्थिति में बैठे जैसे पालथी मारकर। साँस भरे और पेट के निचले हिस्से की मांपेशियों को सिकोड़कर नथुने से हवा बाहर फेंके। फिर पेट को आराम दें। ऐसा करते हुए साँस अपने आप अंदर ली जाएगी। अब इसे तेजी से दोहराएं। आप एक बार में श्वास भर कर दस बार बाहर फेंक सकते हैं। इस प्राणायाम के जरिये फेफड़ो की सफाई होती है।
2. अनुलोम-विलोम प्राणायाम - Anulom-Vilom Pranayam (Alternate Nostril Breathing)
दाएं हाथ की तर्जनी और बीच की अंगुली को अंदर की और मोड़कर, अंगूठे और छोटी अंगुली तान लें। दाएं नथुने को अंगूठे से बंद कर बाएं नथुने से सांस भरें। अब बाएं नथुने को छोटी अंगुली से बंद कर दाएं नथुने सांस छोड़ें। स्वाश जिस गति से अंदर भरे उसी गति से बाहै की तरफ छोड़ें। अब जरा रूक कर दाएं नथुने से सांस अंदर लें और फिर जरा रूके और छोटी अंगुली को हटाकर इस बार बाएं नथुने से सांस छोड़ें। ऐसे करके ये एक चक्र हुआ। कम से कम पांच चक्र पूरे करें। अनुलोम विलोम करने से साइनस की समस्या दूर रहती है।
3. भ्रामरी प्राणायाम - Bhramari Pranayam (The Humming Bee Breath)
भ्रामरी प्राणायाम में मधुमक्खी की तरह भिनभिनाना होता है जिससे मस्तिष्क में कंपन होगी। आँखों को ढक लें और कानों को बंद कर लें। ऐसा करने से कंपन का एहसास तेज होगा। ओ खाए बिना ॐ का उच्चारण करने से भुनभुनाने की आवाज प्राप्त होती है। इससे मन एकाग्र होता है। क्योंकि इससे गले में भी कम्पन होती होती है तो यह थायराइड ग्लैंड के लिए भी प्रभावशाली है।