ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया को टिक डौलॉरेक्स (tic douloureux) के रूप में भी जाना जाता है, जिसे चेहरे के दर्द का सबसे गंभीर प्रकार माना जाता है। ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया में होने वाला दर्द आमतौर पर चेहरे के निचले हिस्से और जबड़े में होता है, लेकिन कभी-कभी यह नाक के आसपास और आंख के ऊपर वाले हिस्से को भी प्रभावित करता है।
यह स्थिति ट्राइजेमिनल नामक नस में जलन के कारण पैदा होती है, जो कि माथे, गाल और निचले जबड़े तक फैली है। इसमें चेहरे से मस्तिष्क तक सनसनी महसूस होती है।
वैसे तो यह किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह अधिक आम है। हर साल, लगभग 1,50,000 लोगों में ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया का निदान किया जाता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक (एनआईएनडीएस) की रिपोर्ट के मुताबिक यह स्थिति पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम है।
ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया उन बीमारियों के कारण हो सकता है जो माइलिन (नस के चारों ओर बनने वाली लेयर) को नुकसान पहुंचाती हैं या ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया पर दबाव या चोट का कारण बनती हैं। हालांकि, इसका सटीक कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के लक्षणों में छूने या आवाज से दर्द ट्रिगर होना शामिल हैं। यह दर्द कुछ सेकंड से लेकर 2 मिनट तक रह सकता है।
ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के इलाज के लिए पारंपरिक दवाओं का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इन दवाओं के कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं। ऐसे में मरीजों को न केवल ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया में होने वाले तेज दर्द को सहन करना पड़ता है, बल्कि दवाओं के दुष्प्रभाव भी झेलते पड़ते हैं। कभी-कभी, ये दवाएं दर्द से राहत देने में असमर्थ होती हैं, ऐसे में डॉक्टर आपको सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।
यदि आप पारंपरिक दवाओं के जोखिम और सर्जरी से छुटकारा चाहते हैं, तो ऐसे में ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के लिए होम्योपैथी ट्रीटमेंट लेने का विचार कर सकते हैं। यह उपचार का एक सुरक्षित विकल्प है, जो कि क्रोनिक और एक्यूट दोनों मामलों में प्रभावी है। चूंकि इन दवाओं को प्राकृतिक पदार्थों से बनाया जाता है, इसलिए इन्हें किसी अनुभवी होम्योपैथिक डॉक्टर के दिशा-निर्देश के अनुसार लेना ही सुरक्षित माना जाता है। ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के इलाज के लिए होम्योपैथिक दवाओं में एकोनाइट, आर्सेनिकम, बेलाडोना, ब्रायोनिया, चाइना, कोलोसिन्थिस, मैग्नीशियम फॉस्फोरिकम, पल्सेटिला, स्पिगेलिया और वर्बस्कम शामिल हैं।
(और पढ़ें - नसों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज)
- ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया की होम्योपैथिक दवा - Trigeminal neuralgia ki homeopathic dawa
- होम्योपैथी के अनुसार ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के लिए आहार - Trigeminal neuralgia dietary according to homeopathy in Hindi
- ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के लिए होम्योपैथी उपचार कितना प्रभावी है - How effective are homeopathic treatments for Trigeminal Neuralgia in Hindi
- ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के लिए होम्योपैथिक उपचार के साइड इफेक्ट्स - Side effects of homeopathic treatment for Trigeminal Neuralgia in Hindi
- ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया का होम्योपैथिक उपचार से संबंधित टिप्स - Tips related to homeopathic treatment for Trigeminal neuralgia in Hindi
ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया की होम्योपैथिक दवा - Trigeminal neuralgia ki homeopathic dawa
ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के कुछ होम्योपैथिक उपचार निम्नलिखित हैं :
एकोनिटम नेपेलस
सामान्य नाम : मॉन्कशूड
लक्षण : एकोनाइट का इस्तेमाल बेचैनी, लगातार डर लगना और दर्द व अचानक बुखार आने पर किया जाता है। यह उपाय केवल शरीर के कार्यों को प्रभावित करता है; शरीर के ऊतकों की संरचना पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस उपाय से निम्न स्थितियों को भी ठीक किया जा सकता है :
- चक्कर आना, जो सिर हिलाने और उठने पर बिगड़ जाता है
- नाक में दर्द (नाक का वह ऊपरी हिस्सा जो माथे से मिलता है)
- गाल का सुन्न हो जाना और सिहरन महसूस होना
- बाएं तरफ की नसों में दर्द (और पढ़ें - नसों में दर्द के घरेलू उपाय)
- जबड़े का दर्द
यह लक्षण गर्म कमरे में रहने, शाम को, रात में, प्रभावित हिस्से के बल लेटने और शुष्क ठंडी हवाओं में बढ़ जाते हैं, लेकिन खुली हवा में रहने से रोगी बेहतर महसूस करते हैं।
आर्सेनिकम एल्बम
सामान्य नाम : आर्सेनिक एसिड, आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड
लक्षण : आर्सेनिक एसिड शरीर में सभी ऊतकों और अंगों पर कार्य करता है। जिन लोगों में बेचैनी की शिकायत रहती है, उनमें इस उपाय से लाभ होता है और यह स्थिति रात में बिगड़ जाती है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को भी दूर करने में मदद करता है :
- सिरदर्द होना, जिसमें ठंड के मौसम के संपर्क में आने पर राहत मिलती है
- दर्द के दौरान कान बजना
- चेहरे में सूजन व पीलापन के साथ में पसीना आना
- चेहरे पर जलन, सुई के चुभन जैसा दर्द
- दर्द व साथ में जीभ में जलन होना
- दांत में दर्द
यह लक्षण आधीरात के बाद, ठंडे खानपान के बाद और नम मौसम में बिगड़ जाते हैं, जबकि गर्म ड्रिंक्स लेने और सिर उठाने से लक्षणों से राहत मिलती है।
बेलाडोना
सामान्य नाम : डेडली नाइटशेड
लक्षण : यह उपाय विशेष रूप से नर्वस सिस्टम पर काम करता है, विशेष रूप से वे हिस्से जिनकी वजह से दर्द, मरोड़ और ऐंठन जैसी समस्या होती है। यह हृदय प्रणाली (कार्डियोवस्कुलर सिस्टम) पर भी असरदार है। बेलाडोना का उपयोग मुंह सूखने, फ्लशिंग, विशेष रूप से चेहरे और नस संबंधी दर्द के इलाज के लिए किया जाता है, जो अचानक आते हैं और जाते हैं। इसके अलावा यह निम्नलिखित उपायों में भी कारगर है :
- चक्कर आना व साथ में पीछे की तरफ या बाईं ओर गिरने की प्रवृत्ति होना
- सिरदर्द, मुख्य रूप से माथे और सिर के दाईं तरफ दर्द होना। यह आमतौर पर लेटने पर बढ़ जाता है
- दर्द जो प्रभावित हिस्से को छूने और लेटने पर बढ़ जाता है और दबाव डालने पर ठीक हो जाता है
- आंखों और दांतों में धमक जैसा दर्द होना व साथ-साथ सूजन और जीभ में दर्द की शिकायत
- सूजन के साथ-साथ चेहरे पर नीलापन और गर्मी महसूस होना
ये लक्षण दोपहर में, प्रभावित हिस्से को छूने पर और लेटने पर बढ़ जाते हैं, लेकिन जब रोगी सेमी-इरेक्ट पोजिशन में रहता है तो उसे लक्षणों से आराम मिलता है।
कोलचिकम औटुम्नले
सामान्य नाम : मीडो सैफरान (कोलचिकम)
लक्षण : मीडो सैफरान मुख्य रूप से पेरीओस्टेम (हड्डियों की बाहरी परत) और मांसपेशियों को प्रभावित करता है। यह टियरिंग पेन (तेज बेचैनी महसूस होना, जिसमें मांस फटने जैसा दर्द होता है) के प्रबंधन में उपयोगी है, विशेष रूप से जो छूने पर और शाम के बाद बढ़ जाते हैं। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को भी दूर करने में मदद करता है :
- सिरदर्द, विशेष रूप से माथे और सिर के किनारे पर, इसमें होने वाला दर्द दोपहर और शाम के समय में बढ़ जाता है।
- पुतली का सिकुड़ना व साथ में तेज दर्द
- कान के बाहरी हिस्से पर तेज दर्द, खासकर ट्रेगस (कान के बाहरी हिस्से पर मौजूद एक उभरा हुआ सा भाग) पर
- चेहरे की मांसपेशियों में दर्द, जो कि धीरे-धीरे बढ़ता है
- गाल में सूजन
- जबड़े का दर्द, खासकर दाहिनी तरफ
- मुंह सूखना
- दांत में दर्द (और पढ़ें - दांत दर्द के घरेलू उपाय)
ये लक्षण प्रभावित हिस्से में हलचल करने, मानसिक थकान और सूर्योदय से सूर्यास्त तक बिगड़ते हैं, लेकिन आगे झुकने पर इनमें सुधार होता है।
जेल्सेमियम सेंपरविरेंस
सामान्य नाम : येलो जैस्मिन (जेल्सिमियम)
लक्षण : यह उपाय मुख्य रूप से नर्वस सिस्टम पर कार्य करता है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को भी ठीक करता है :
- सिर भारी लगना
- आंख के आसपास वाले हिस्से में हल्का व तेज सिर दर्द
- सिर के किनारों पर दर्द, जो कि कानों तक फैलता है
- आंखों के आसपास की नसों में दर्द, संकुचन और मरोड़
- चेहरा लाल होना
- चेहरे की नसों का दर्द (फेसियल न्यूराल्जिया)
- चेहरे की मांसपेशियों में संकुचन के साथ ठोड़ी में सिहरन
- दर्द जो गले से कान तक बढ़ता है
यह लक्षण स्थिति के बारे में सोचने और उमसभरे मौसम में रहने की वजह से बिगड़ जाते हैं। जबकि रोगी खुली हवा में रहने और आगे झुकने पर बेहतर महसूस करता है।
कैलियम आयोडेटम
सामान्य नाम : आयोडाइड ऑफ पोटेशियम (कैली हाइड्रिओडिकम)
लक्षण : आयोडाइड ऑफ पोटेशियम मुख्य रूप से संयोजी ऊतकों (कनेक्टिव टिश्यू) पर कार्य करता है और एडिमा को कम करने में मदद करता है। इस उपाय से निम्नलिखित लक्षणों को भी ठीक किया जाता है :
- तेज सिरदर्द
- आंखों और नेजल रूट (नाक के ऊपरे हिस्से) में तेज दर्द
- चेहरे की नसों में दर्द
- ऊपरी जबड़े में दर्द
- कान छिदवाना या कान में दर्द
यह लक्षण रात में, गर्म कपड़े पहनने और उमसभरे मौसम में खराब हो जाते हैं, लेकिन खुली हवा में रहने से इन लक्षणों में सुधार होता है।
मैग्नीशियम फॉस्फोरिकम
सामान्य नाम : मैग्नेशिया का फास्फेट (मैग्नेशिया फॉस्फोरिका)
लक्षण : मैग्नीशियम फॉस्फोरिकम मांसपेशियों में ऐंठन, नसों से संबंधित दर्द खासकर जिसमें गर्मी से राहत मिलती है, के लिए बेस्ट उपाय है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को प्रबंधित कर सकता है :
- सिर चकराना
- पलक झपकाने पर आंखों के ऊपर वाले हिस्से में दर्द होना
- कान की नसों में दर्द जो तब और बढ़ जाता है जब रोगी ठंडे पानी से अपना चेहरा धोता है
- गर्म पेय लेने पर दांतों में दर्द होना
- एनजाइना पेक्टोरिस (छाती तक रक्त का संचार सही से न होने के कारण सीने में दर्द होना)
यह लक्षण रात में, प्रभावित हिस्से को छूने पर और ठंडे मौसम में बिगड़ जाते हैं।
मेजेरियम
सामान्य नाम : स्पर्ज ओलिव
लक्षण : यह उपाय दांत और चेहरे की नसों में दर्द के लिए उपयुक्त है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को भी प्रबंधित करने में मदद करता है :
- अलग-अलग तरह के दर्द
- ठंडी हवा के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होना
- चेहरे और दांतों की नसों में तेज दर्द, जो कि कान की ओर बढ़ता है। इस स्थिति में कुछ खाने गर्म चूल्हे के पास रहने से सुधार होता है।
- आंखों के ऑपरेशन के बाद क्लस्टर सिरदर्द
- दर्द के साथ-साथ आंखों के आसपास की हड्डियों में अकड़न, जो नीचे की ओर बढ़ता है
यह लक्षण शाम और आधी रात के बाद तक, प्रभावित हिस्से को छूने, ठंडी हवा के संपर्क में रहने और गर्म भोजन करने से बढ़ जाते हैं, लेकिन खुली हवा में रहने से यह लक्षण बेहतर होते हैं।
फास्फोरस
सामान्य नाम : फॉस्फोरस
लक्षण : फास्फोरस का उपयोग उन स्थितियों में किया जाता है जो रीढ़ की हड्डी और नसों की सूजन का कारण बनती हैं। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को दूर करने में भी मदद कर सकता है :
- बुजुर्गों में उठने के दौरान चक्कर आना
- नसों का दर्द और जलन के साथ दर्द; प्रभावित हिस्से का गर्म बने रहना
- आंखों के आसपास हड्डियों में दर्द
- चेहरे की हड्डियों में तेज दर्द
- गालों में लालिमा
- कपड़े धोने के बाद दांतों में दर्द
यह लक्षण शाम को, प्रभावित हिस्से को छूने पर और गर्म खानपान करने से बिगड़ जाते हैं जबकि खुली हवा में रहने, अंधेरे में, सोने पर और दाएं तरफ लेटने से रोगी को अच्छा महसूस होता है।
हेक्ला लावा
सामान्य नाम : लावा स्कोरिया फ्रॉम हेक्ला (हेक्ला लावा)
लक्षण : हेक्ला लावा जबड़े पर असर करता है। यह मसूड़ों में फोड़ा और हड्डी की सूजन के लिए भी प्रभावी है। जिन लोगों को इस उपाय से लाभ होता है, उनमें निम्न लक्षण होते हैं :
- दांत निकालने के बाद चेहरे में दर्द होना
- दांत में दर्द
- जबड़े में सूजन (और पढ़ें - जबड़े में दर्द के घरेलू उपाय)
- गाल की हड्डी बढ़ना
वर्बस्कम थाप्सुस
सामान्य नाम : मुल्लीन (वर्बस्कम)
लक्षण : यह उपाय श्वसन पथ और मूत्राशय पर कार्य करता है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को भी दूर करने में मदद करता है :
- दर्द जो हर दिन सुबह और दोपहर में एक ही समय पर होता है
- कान में दर्द महसूस होना जैसे कि कान में कुछ फंस गया हो
- छींकने, तेज काटने और तापमान में बदलाव होने से यह लक्षण बिगड़ जाते हैं।
रस टॉक्सीकोडेंड्रोन
सामान्य नाम : पॉइजन-आइवी
लक्षण : पॉइजन-आइवी मुख्य रूप से गठिया और टियरिंग पेन में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों से भी राहत देता है :
- उठने पर सिर चकराने के साथ भारीपन
- सिर के पिछले हिस्से में दर्द जो छूने पर बिगड़ जाता है
- खाने पर जबड़े को नुकसान होना
- गालों को छूने के प्रति संवेदनशील होना
- चेहरे की नसों में दर्द और ठंड लगना, यह स्थिति शाम को बिगड़ जाती है।
यह लक्षण रात में, पीठ के बल या दाईं करवट लेटने और ठंड व बारिश के मौसम में बिगड़ जाते हैं। रोगी तब बेहतर महसूस करता है जब वे प्रभावित हिस्से को रगड़ते हैं या गर्म सिकाई करते हैं। गर्म और शुष्क मौसम में इन लक्षणों में सुधार होता है।
(और पढ़ें - नसों की कमजोरी के कारण)
होम्योपैथी के अनुसार ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के लिए आहार - Trigeminal neuralgia dietary according to homeopathy in Hindi
होम्योपैथिक दवाओं को कम मात्रा में लिया जाता है। ट्रीटमेंट के दौरान जितनी जरूरी यह दवाइयां होती हैं, उतना ही उपयोगी आहार भी होता है। इसलिए डॉक्टर औषधीय गुणों वाले पदार्थों से रहित भोजन करने की सलाह देते हैं, क्योंकि यह भोजन होम्योपैथिक दवाओं के प्रभाव को कम या बाधित कर सकते हैं। इसके अलावा वे आहार और जीवन शैली में निम्नलिखित बदलाव करने का भी सुझाव देते हैं :
क्या करना चाहिए
- गर्म मौसम में लेनन के कपड़ों के बजाय सूती कपड़े पहनें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें और शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
- फाइबर और पोषक तत्वों से युक्त उचित खाना खाएं।
- एक्यूट मामलों में, रोगी कुछ खाद्य पदार्थों और पेय लेने की इच्छा दिखा सकते हैं। ऐसे में उन्हें इच्छानुसार खानपान कराएं, यदि वह खाद्य पदार्थ उनके लिए फायदेमंद नहीं है तो थोड़ी मात्रा में ही सही, लेकिन वो चीज उन्हें खाने-पीने दें।
क्या नहीं करना चाहिए
- जड़ी बूटी वाली चाय, कॉफी, अल्कोहल, शराब या बीयर जैसे पेय से बचें।
- तेज मसालेदार भोजन, प्याज से बने सूप, अजवाइन, मांस और रखे हुए पनीर का सेवन न करें।
- इन दवाओं को इत्र, कपूर, ईथर या अन्य वाष्पशील उत्पादों के पास नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह सब चीजें दवाओं के प्रभाव को बेअसर कर सकती हैं।
- असक्रिय जीवन शैली और अस्वच्छता से बचें।
- उमसभरे कमरे या जगहों पर रहने से बचें।
(और पढ़ें - नसों में सूजन का इलाज)
ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के लिए होम्योपैथी उपचार कितना प्रभावी है - How effective are homeopathic treatments for Trigeminal Neuralgia in Hindi
होम्योपैथी 'लाइक क्योर्स लाइक' नाम के सिद्धांत पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि जिस पदार्थ की वजह से किसी स्वस्थ व्यक्ति में लक्षण विकसित हुए हैं, उसी का इस्तेमाल करके बीमारी का इलाज किया जा सकता है। इसीलिए एक योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर लक्षणों के अनुसार, ऐसे उपाय का चुनाव करते हैं, जिसमें रोगी के समान लक्षण मौजूद होते हैं। यह उपाय व्यक्ति की जन्मजात प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता है, जिससे न सिर्फ व्यक्ति में उसके लक्षणों में सुधार होता है, बल्कि ओवरऑल हेल्थ में भी इजाफा होता है।
ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के मामले में होम्योपैथी दवाओं के असर को जानने के लिए एक स्टडी की गई थी। इसमें ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया से ग्रस्त 15 लोगों को शामिल किया गया था। इन सभी मरीजों को व्यक्तिगत लक्षणों के अनुसार दवाइयां दी गई। इस दौरान इन उपचारों को ओरल लिक्विड (मौखिक रूप से ली जाने वाली तरल रूपी दवाएं) के रूप में दिया गया था। चार माह तक लगातार स्थिति का आकलन किया गया और यह पाया गया कि रोगियों में दर्द की तीव्रता में 60 फीसद की कमी आई। अध्ययन से पता चला कि होम्योपैथिक दवाएं ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के प्रबंधन में सुरक्षित और प्रभावी हैं।
(और पढ़ें - रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय)
ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के लिए होम्योपैथिक उपचार के साइड इफेक्ट्स - Side effects of homeopathic treatment for Trigeminal Neuralgia in Hindi
होम्योपैथी में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं को बेहद कम मात्रा में व घुलनशील रूप में दिया जाता है। इसकी खासियत यह है कि आप इन दवाओं को पारंपरिक दवाओं के साथ ले सकते हैं, लेकिन ऐसा करने से पहले डॉक्टर से परामर्श कर लें। इन दवाओं का कोई साइड इफेक्ट्स या दुष्प्रभाव नहीं होता है। चूंकि यह दवाएं प्राकृतिक स्रोतों जैसे पौधों, जानवरों और खनिजों से प्राप्त होती हैं, इसलिए उन्हें सभी उम्र के रोगियों में सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा सकता है। होम्योपैथिक उपचार के साइड इफेक्ट्स इसलिए भी नहीं हैं, क्योंकि इन्हें निर्धारित करने से पहले मरीज के लक्षणों, उम्र, फैमिली और मेडिकल हिस्ट्री व शारीरिक और मानसिक स्थितियों की जांच की जाती है।
(और पढ़ें - नस चढ़ने का इलाज)
ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया का होम्योपैथिक उपचार से संबंधित टिप्स - Tips related to homeopathic treatment for Trigeminal neuralgia in Hindi
होम्योपैथी ट्रीटमेंट की एक प्रभावी, प्राकृतिक रूप से तैयार और सुरक्षित तरीका है। यह कई बीमारियों के साथ-साथ ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के लक्षणों से भी राहत देता है। यह न सिर्फ बीमारी के लक्षणों को दूर करता है बल्कि समग्र स्वास्थ्य में भी सुधार करता है। इसे 'फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन' द्वारा पारंपरिक दवाओं के विकल्प के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसके अलावा होम्योपैथिक दवाएं बच्चों और गर्भवती महिलाओं दोनों के लिए जोखिम से मुक्त हैं। ध्यान रहे, होम्योपैथिक दवाओं का सर्वोत्तम असर तभी होता है, जब इन्हें किसी अनुभवी या अच्छे होम्योपैथिक डॉक्टर से परामर्श करके लिया जाए।
(और पढ़ें - नसों में दर्द की होम्योपैथिक दवा)
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संदर्भ
- British Homeopathic Association. Is homeopathy safe?. London; [Internet]
- National Center for Homeopathy [Internet] Mount Laurel, New Jersey, U.S Homeopathy
- MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Trigeminal neuralgia
- William Boericke. Homoeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1
- American Association of Neurological Surgeons. Trigeminal Neuralgia. USA; [internet]
- Mojaver YN et al. Individualized homeopathic treatment of trigeminal neuralgia: an observational study.. Homeopathy. 2007 Apr;96(2):82-6. PMID: 17437933