पेट का कैंसर या गैस्ट्रिक कैंसर पेट की अंदरूनी परत में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि का परिणाम है। प्रारंभिक अवस्था में अक्सर इस स्थिति का पता नहीं लग पाता है क्योंकि इसके लक्षण अन्य बीमारियों जैसे गैस्ट्राइटिस (पेट में सूजन) और अल्सर के समान ही होते हैं। पेट के कैंसर के सामान्य लक्षणों में मतली और उल्टी, थोड़े से भोजन के बाद भी पेट फूला हुआ महसूस होना, अपच के साथ साथ मल में खून आना, आदि शामिल हैं।
सौभाग्य से, अस्पतालों और कैंसर केंद्रों से एकत्र किए गए तथ्य और आंकड़े बताते हैं कि पेट के कैंसर का प्रतिशत भारत में वैश्विक औसत से कम है। पेट के कैंसर के मामले देश के उत्तरी एवं दक्षिणी राज्यों में सबसे अधिक पाए जाते हैं, इसका सामान्य कारण उनकी आहार की आदतें और उत्तर में तम्बाकू तथा शराब का बढ़ता सेवन है।
परंपरागत रूप से, पेट के कैंसर के उपचार में सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी आदि का उपयोग होता हैं। ऐसी स्थितियों में उपचार का प्रारंभिक चरण कई व्यक्तियों के लिए भयानक और परेशान करने वाला हो सकता है। इसके लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और सकारात्मक दृष्टिकोण का पालन करने की आवश्यकता है। होम्योपैथी को प्राथमिक उपचार के रूप में लेना, रेडिएशन और अन्य एंटीबायोटिक दवाओं के मुकाबले बेहतर विकल्प है, क्योंकि ये समय के साथ शरीर को खराब करते हैं।
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होम्योपैथी में कैंसर के उपचार के लिए विभिन्न प्रकार की दवाओं का वर्णन किया गया है। ये रोगी के लक्षणों और स्थिति के अनुरूप निर्धारित की जाती हैं और समग्र स्वास्थ्य में सुधार के उद्देश्य से दी जाती हैं। होम्योपैथी में कोई "एक दवा सबका उपचार" नहीं है। योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक रोगी का व्यापक परिक्षण करता है, जिसमें कोई दवा देने से पहले उसके पिछले मेडिकल रिकॉर्ड को शामिल किया जाता है, इसमें आहार और अन्य कारक भी शामिल किए जाते हैं। इसके फलस्वरूप, हर एक दवा व्यक्तिगत स्थिति के अनुरूप दी जाती है और इसलिए सभी व्यक्तियों पर इनका असर एक जैसा नहीं होता है।
कैंसर में दी जाने वाली कुछ सबसे सामान्य होम्योपैथिक दवाएं अर्निका, बेलाडोना, काली कार्बोनिकम और अन्य हैं। पेट के कैंसर के कई लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए बेलाडोना और कैलियम कार्बोनिकम प्रभावी दवाएं हैं।
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- होम्योपैथी में पेट के कैंसर का इलाज कैसे होता है? - Homeopathy me Stomach Cancer ka upchar kaise hota hai?
- पेट के कैंसर की होम्योपैथिक दवा - Stomach Cancer ki homeopathic medicine
- होम्योपैथी में पेट के कैंसर के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Stomach Cancer ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav
- पेट के कैंसर के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Stomach Cancer ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
- पेट के कैंसर के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Stomach Cancer ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
होम्योपैथी में पेट के कैंसर का इलाज कैसे होता है? - Homeopathy me Stomach Cancer ka upchar kaise hota hai?
आमतौर पर होम्योपैथिक उपचार व्यक्ति को धीरे धीरे दिया जाता है क्योंकि ये शरीर की एक से अधिक स्थितियों पर कार्य करता है। इसलिए, एलोपैथी के विपरीत, होम्योपैथिक दवाओं का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता है। वास्तव में, कई स्थितियों में, होम्योपैथिक उपचार को पारंपरिक रेडिएशन या कीमोथेरेपी के विकल्प के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
कैंसर जैसी स्थितियों में, लोग अक्सर उपचार के पारंपरिक तरीकों को ही अपनाते हैं, होम्योपैथी को एक धीमी प्रक्रिया के रूप में देखते हैं, उन्हें लगता हैं कि समय के साथ स्थिति बिगड़ सकती है। लेकिन प्रतिष्ठित चिकित्सकों और प्रयोगशालाओं द्वारा किए गए अध्ययनों में पता चलता है कि सामान्य उपचार के दौरान होम्योपैथिक चिकित्सा की शुरुआत करने से कैंसर के कई लक्षणों को दबाने में काफी मदद मिल सकती है। कीमोथेरेपी या विकिरण के प्रतिकूल प्रभाव के कारण लगातार उल्टी, मतली, मल और उल्टी से खून आने आदि समस्यायों को होम्योपैथिक उपचार का उपयोग करके रोका भी जा सकता है।
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एक ऑब्ज़र्वेशनल स्टडी में, प्रारंभिक अवस्था में पेट के कैंसर सहित विभिन्न प्रकार के कैंसर वाले 65 लोगों का इलाज होम्योपैथिक दवाओं से या तो अकेले या पारंपरिक चिकित्सा के साथ संयोजन में किया गया। इस अध्ययन के परिणामों से पता चला कि होम्योपैथिक दवाएं ट्यूमर के उपचार में प्रभावी हैं, कुछ मामलों में तो उन्हें पूरी तरह से ठीक कर देती है।
एक अन्य अध्ययन में बीमारी के तीसरे चरण या चौथे चरण में 158 प्रतिभागियों को शामिल किया गया था, जिनमें से 42 को गैस्ट्रिक या पेट का कैंसर था, इनका पहले कीमोथेरेपी या रेडिएशन उपचार नहीं हुआ था। इन रोगियों में होम्योपैथिक उपचार से कैंसर के लक्षणों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। गैस्ट्रिक या पेट के कैंसर के लगभग 38% मामलों में उनकी स्थिति में काफी सुधार देखा गया। किसी भी रोगी में कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखा।
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पेट के कैंसर की होम्योपैथिक दवा - Stomach Cancer ki homeopathic medicine
पेट में कैंसर के उपचार के लिए निम्नलिखित होम्योपैथिक दवाएं दी जा सकती हैं:
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एसिटिकम एसिडम (Aceticum Acidum)
सामान्य नाम: ग्लेशियल एसिटिक एसिड (Glacial acetic acid)
लक्षण: यह दवा आमतौर पर दुबले, पतले और पिलपिली मांसपेशियों वाले गोरे रंग के लोगों को दी जाती है। पेट के कैंसर के दौरान निम्नलिखित सामान्य लक्षण के लिए एसिटिकम एसिडम दी जाती है:- जी मिचलाना
- पेट में अल्सर के कारण दर्द
- ट्यूमर के कारण कोई भी खाद्य पदार्थ खाने पर उल्टी हो जाना
एसिटिकम एसिडम को ट्यूमर के विकास को कम करने के लिए भी दिया जा सकता है।
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अमोनियम मुरिएटिकम (Ammonium Muriaticum)
सामान्य नाम: साल अमोनिएक (Sal ammoniac)
लक्षण: यह दवा उन व्यक्तियों को दी जाती है जो मोटे और आलसी होते हैं। उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है। अमोनियम मुरिएटिकम निम्नलिखित लक्षणों को दूर करने में मदद करती है:- अल्सर के कारण पेट में दर्द होना (और पढ़ें - पेट में अल्सर के घरेलू उपाय)
- भोजन करने के ठीक बाद दर्द होना (और पढ़ें - पेट दर्द में क्या नहीं खाना चाहिए)
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अर्जेन्टम नाइट्रिकम (Argentum Nitricum)
सामान्य नाम: नाइट्रेट ऑफ सिल्वर (Nitrate of Silver)
लक्षण: यह दवा निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव करने वाले लोगों को दी जाती हैं:- जी मिचलाना
- पेट के चारों ओर अचानक कम ज्यादा होने वाला दर्द
- पेट के अंदर अल्सर बनने के कारण दर्द बढ़ जाना
- बाईं तरफ की निचली पसली के आसपास दर्द होना
- पेट के अंदर जलन और नाखून चुभने जैसा महसूस होना
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बेलाडोना (Belladonna)
सामान्य नाम: नाइटशेड (Nightshade)
लक्षण: बेलाडोना शरीर के लगभग किसी भी हिस्से में तत्काल दर्द से राहत के लिए एक उत्कृष्ट दवा है। यह पेट के कैंसर से जुड़े निम्नलिखित लक्षणों को दूर करने में मदद करती है:- पेट फूला हुआ महसूस होने के कारण भूख में कमी (और पढ़ें - भूख कम करने के घरेलू उपाय)
- जी मिचलाना
- अचानक उल्टी होना
- पेट में तेज दर्द और ऐंठन (और पढ़ें - पेट में ऐंठन का इलाज)
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बैराइटा कार्बोनिका (Baryta Carbonica)
सामान्य नाम: कार्बोनेट ऑफ बैराइटा (Carbonate of baryta)
लक्षण: निम्नलिखित सामान्य लक्षणों के लिए बैराइटा कार्बोनिका का उपयोग किया जाता है:- जी मिचलाना
- भूख लगने के बावजूद पेट फूला हुआ महसूस होना (और पढ़ें - पेट फूल जाए तो क्या करें)
- कुछ भी खाने पर उल्टी होना
- पेट के आसपास के हिस्से में बहुत तेज दर्द होना
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बिस्मथम सबनीट्रिकम (Bismuthum Subnitricum)
सामान्य नाम: नाइट्रेट ऑफ बिस्मथ (Nitrate of bismuth)
लक्षण: इस दवा से निम्नलिखित लक्षणों में राहत मिलती हैं:- उल्टी
- खाने और पीने के दौरान मतली जिससे अक्सर उल्टी हो जाती है
- पेट में दर्द (और पढ़ें - पेट में दर्द होने पर क्या करना चाहिए)
- पाचन संबंधी समस्या (और पढ़ें - पाचन तंत्र के रोगों का इलाज)
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कैडमियम सल्फ्यूरेटम (Cadmium Sulphuratum)
सामान्य नाम: कैडमियम सल्फेट (Cadmium sulphate)
लक्षण: कैडमियम सल्फ्यूरेटम उन व्यक्तियों को दी जाती है जो अक्सर गैस्ट्रिक लक्षणों से पीड़ित होते रहते हैं। अन्य लक्षण जिनके लिए इस दवा की सलाह दी जाती है वे निम्नलिखित हैं:- जी मिचलाना
- अचानक उल्टी होना
- उल्टी में खून आना
- जलन और पेट में दर्द बढ़ जाना (और पढ़ें - पेट दर्द के घरेलू उपाय)
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कैल्केरिया फ्लोरिका (Calcarea fluorica)
सामान्य नाम: फ्लोराइड ऑफ़ लाइम (Fluoride of lime)
लक्षण: इस दवा का उपयोग ज्यादातर शिशुओं और छोटे बच्चों के इलाज के लिए किया जाता है। यह स्तन कैंसर का कारण बनने वाली स्तनों की गांठ के मामलों में भी दी जाती है। पेट के कैंसर के इलाज के लिए तो इस दवा का शायद ही कभी उपयोग होता हो, लेकिन यह पेट के कैंसर से जुड़े निम्नलिखित लक्षणों को दूर करने में मदद करती है:- जी मिचलाना
- शिशुओं को खाने के बाद उल्टी होना (और पढ़ें - नवजात शिशु को उल्टी होने का इलाज)
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कोनियम मैकुलेटम (Conium Maculatum)
सामान्य नाम: पाइजन हेमलॉक (Poison hemlock)
लक्षण: यह दवा आमतौर पर उन परिस्थितियों में उचित है जहां व्यक्ति अनियंत्रित उल्टी से पीड़ित होता है। निम्नलिखित कुछ अन्य लक्षणों में भी यह दवा दी जाती है:- जी मिचलाना
- पेट में जलन, जो लेटने पर बढ़ जाती है (और पढ़ें - पेट में जलन होने पर क्या करना चाहिए)
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कार्बो वेजिटेबिलिस (Carbo vegetabilis)
सामान्य नाम: वेजिटेबल चारकोल
लक्षण: वेजीटेबल चारकोल को अक्सर भारी शरीर वाले सुस्त लोगों के लिए सही दवा माना जाता है। यह निम्नलिखित लक्षणों को दूर करने में मदद करती है:- डकार आना (और पढ़ें - बार-बार डकार आना कहीं किसी बीमारी का संकेत तो नहीं)
- पेट दर्द जो लेटने पर बढ़ जाता है
- जी मिचलाना
- भोजन के बाद उल्टी होना
- दूध पीने से घृणा होना
- भोजन के बाद डकार आना, जिसके कारण अक्सर पेट से एसिड मुंह तक आ जाना
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ग्रेफाइट्स (Graphites)
सामान्य नाम: ब्लैक लेड (Black lead)
लक्षण: यह दवा स्वस्थ शरीर और सक्रिय जीवन शैली वाले गोरे लोगों को दी जाती है। इस दवा से ठीक होने वाले कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:- जी मिचलाना
- खाने के बाद उल्टी होना
- डकार और तेज दर्द
- मीट खाने से मतली होना और दूध का सेवन करने पर मतली के लक्षणों से अस्थायी राहत मिलना
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कैलियम कार्बोनिकम (Kalium Carbonicum)
सामान्य नाम: कार्बोनेट ऑफ पोटेशियम (Carbonate of potassium)
लक्षण: पोटेशियम साल्ट्स दर्द से राहत के लिए एक बेहतरीन उपाय होते है। हालांकि, बुखार के मामले में इनका उपयोग करना उचित नहीं है, विशेषकर ऐसे लोगों में जो बिस्तर पर पड़े हो। यह दवा निम्नलिखित लक्षणों में दी जाती है:- पेट फूला हुआ महसूस होना
- उल्टी
- पेट में काटने जैसा दर्द महसूस होना
- जी मिचलाना
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नक्स वोमिका (Nux Vomica)
सामान्य नाम: पाइजन नट (Poison nut)
लक्षण: नक्स वोमिका आमतौर पर सक्रिय और काम में लगे हुए लोगों को दी जाती है। जिन व्यक्तियों को यह दवा दी जाती है वे आम तौर पर पतले और सक्रिय होते हैं लेकिन अक्सर मानसिक तनाव से पीड़ित रहते हैं। पेट के कैंसर से जुड़े निम्नलिखित सामान्य लक्षण और संकेतों में इस दवा को दिया जाता है:- जी मिचलाना
- खट्टी डकारें आना
- उल्टी
- पेट के आसपास के हिस्से में बहुत तेज दर्द
- पेट में दबाव महसूस होने के साथ पेट फूलना
इस दवा को अक्सर शाम के समय लेने की सलाह दी जाती है क्योंकि उस समय शरीर अंदर से सबसे अधिक सक्रिय होता है।
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प्लम्बम मेटैलिकम (Plumbum metallicum)
सामान्य नाम: लीड (Lead)
लक्षण: यह दवा उन व्यक्तियों में अच्छा काम करती है जो निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव करते हैं:- भोजन निगलने में असमर्थता
- मतली और उल्टी
- पेट का संकुचन
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सीकेल कौर्नूटम (Secale Cornutum)
सामान्य नाम: अरगट (Ergot)
लक्षण: यह दवा आमतौर पर झुर्रीदार त्वचा वाले वृद्ध व्यक्तियों को दी जाती है। यह निम्नलिखित लक्षणों को कम करने में मदद करती है:- जी मिचलाना
- उल्टी में खून आना
- पेट में तेज सनसनी महसूस होना
- न बुझने वाली प्यास
- खराब गंध के साथ डकार आना
होम्योपैथी में पेट के कैंसर के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Stomach Cancer ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav
व्यक्ति की जीवन शैली के साथ साथ उसकी खाने की आदतें भी पेट के कैंसर के इलाज को प्रभावित करती हैं। यह बीमारी अपने आप में एक परेशान करने वाली स्थिति है, जहाँ व्यक्ति को भारी चिंता से जूझना पड़ता है। इस स्थिति का सामना करने के लिए बहुत अधिक हिम्मत की आवश्यकता होती है। जीवन के दौरान अपनाई गई कई आदतें भी इस स्थिति के विकास को सकारात्मक या नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। ऐसी परिस्थितियों में जिन आवश्यक आदतों का पालन करना चाहिए, उनमें से कुछ का उल्लेख नीचे किया गया है जिनको ध्यान में रखा जाना चाहिए।
क्या करे:
- पेट के कैंसर से प्रभावित व्यक्ति के आस-पास शांतिपूर्ण वातावरण होना चाहिए, किसी भी प्रकार के तनाव से दूर रहे। (और पढ़ें - तनाव दूर करने के घरेलू उपाय)
- हेल्दी भोजन करें, जिसमें ताजी सब्जियां और फल शामिल हों तथा मांसाहारी भोजन से परहेज करें, क्योंकि इससे पेट खराब हो सकता है। (और पढ़ें - पेट खराब होने पर क्या न खाएं)
- रोगी के आसपास स्वच्छता बनाए रखें।
- रोगी की व्यक्तिगत स्वच्छता और उसके कपड़ों को उसकी पसंद के अनुसार व्यवस्थित करना चाहिए।
क्या ना करे:
- अत्यधिक नमक या चीनी वाला भोजन नहीं खाना चाहिए, खट्टे उत्पादों को भी नहीं खाना चाहिए, क्योंकि वे आसानी से होम्योपैथिक उपचार के प्रभाव में बाधा डाल सकते हैं।
- कॉफी सहित किसी तरह के कैफीन युक्त पेय पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए।
- शराब का सेवन या धूम्रपान बिलकुल नहीं करना चाहिए। (और पढ़ें - शराब की लत का इलाज)
- बिना पोषक तत्वों वाले मसालेदार या जंक खाद्य पदार्थ को नहीं खाना चाहिए, जो स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। (और पढ़ें - मसालेदार खाने के नुकसान)
- अपने रहने के वातावरण को गंदा न रखें।
पेट के कैंसर के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Stomach Cancer ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
होम्योपैथिक दवाएं व्यक्ति की पूरी मेडिकल हिस्ट्री देखने के बाद निर्धारित की जाती हैं। इन दवाओं को अत्यधिक पतली खुराक में उपयोग किया जाता है, जिससे किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है। ये दवाएं किसी अन्य दवा या इलाज के साथ भी कोई रिएक्शन नहीं करती है। इसके अलावा, गैस्ट्रिक और अन्य प्रकार के कैंसर वाले कई लोगों पर हुए शोध अध्ययनों से यह पता चला है कि इन दवाओं का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं दिखता है।
हालांकि, कुछ मामलों में लोगों ने चकत्ते और मामूली जलन के बारे में शिकायत की है, लेकिन ऐसा कोई लक्षण नहीं दिखाई दिया जो उपचार के प्रभाव को कम करें। चूंकि होम्योपैथिक दवाएं व्यक्तिगत लक्षणों और मिआस्म ( miasms) के आधार पर दी जाती हैं, इसलिए आप इन दवाओं को लेने से पहले किसी अनुभवी डॉक्टर से सलाह लें और किसी भी कीमत पर अपने मन से दवा न लें।
(और पढ़ें - त्वचा पर चकत्तों के घरेलू उपाय)
हर दवा हर किसी व्यक्ति पर एक जैसा प्रभाव नहीं डालती है। साथ ही, बेहतर उपचार के लिए यह सलाह दी जाती है कि कैंसर के पारंपरिक उपचार के साथ-साथ होम्योपैथिक दवा लेने वाले व्यक्ति को अपने दोनों डॉक्टरों को इन दवाओं के बारे में सूचित करना चाहिए।
पेट के कैंसर के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Stomach Cancer ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
कैंसर एक जानलेवा बीमारी है जिससे निपटना मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से बहुत कठिन होता है। इलाज के पारंपरिक तरीके राहत तो प्रदान करते हैं और अक्सर बीमारी में सुधार भी होता है लेकिन एंटीबायोटिक दवाओं के साथ साथ रेडिएशन और कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव शरीर पर बुरा असर डालते हैं। होम्योपैथिक उपचार कैंसर सेल के विकास को कम करने में मदद करते हुए इन दुष्प्रभावों को भी कम कर सकता है। इसमें खर्च भी अधिक नहीं लगता है। हालांकि, हमेशा यह सलाह दी जाती है कि आप घर पर कोई भी होम्योपैथिक दवा लेने से पहले किसी अनुभवी डॉक्टर से जांच करा लें।
(और पढ़ें - एंटीबायोटिक दवा लेने से पहले इन बातों का ध्यान रखें)
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