बॉलीवुड की फिल्म 'कांटे' का गाना “सिगरेट के धुएं का छल्ला बना के” सुनने में शायद थोड़ा ठीक लगे, लेकिन असल जिंदगी में सिगरेट के धुएं का छल्ला बनाना आपके मानसिक स्वस्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। सिगरेट आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है, जिसके कारण आप कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की जद में आ सकते हैं।

धूम्रपान की लत केवल आपके फेफड़ों को ही नहीं, बल्कि आपके मस्तिष्क को भी नुकसान पहुंचा रही है। जी हां, एक ताजा रिसर्च में यह खुलासा हुआ है कि सिगरेट का धुआं आपके तन ही नहीं मन-मस्तिक को भी हानि पहुंचाता है, जो एक वक्त पर आकर आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है।

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क्या कहती है रिसर्च?
जरनल प्लोस वन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक यह रिसर्च इजरायल की हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ यरुशलम के वैज्ञानिकों ने की है। रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं ने 2,000 से ज्यादा छात्रों पर अध्ययन किया, जिसके बाद पाया कि कैसे सिगरेट का सेवन मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है। शोधकर्ताओं ने अध्ययन में सर्बियन यूनिवर्सिटी से (सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र) आए छात्रों को शामिल किया।

अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि सिगरेट नहीं पीने वालों की तुलना में सिगरेट पीने वाले छात्रों में क्लीनिक्ल डिप्रेशन (अवसाद) का खतरा दो से तीन गुना अधिक था। शोधकर्ताओं के मुताबिक कोसोवो की प्रिस्टिना यूनिवर्सिटी में धूम्रपान करने वालों में से 14 प्रतिशत लोग डिप्रेशन या अवसाद से ग्रसित थे, जबकि इसके विपरीत 4 प्रतिशत छात्र (जो धूम्रपान नहीं करते) डिप्रेशन की किसी ना किसी स्टेज से गुजर रहे थे।

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वहीं, सर्बिया की बेलग्रेड यूनिवर्सिटी में भी स्थिति कुछ इसी प्रकार थी, जहां 19 प्रतिशत लोग धूम्रपान के सेवन के चलते डिप्रेशन में थे जबकि धूम्रपान नहीं करने वाले 11 प्रतिशत लोग अवसाद के शिकार थे। शोधकर्ताओं ने बताया कि जो छात्र धूम्रपान करते थे, उनमें डिप्रेशन के लक्षणों की दर अधिक थी और इसके कारण (धूम्रपान नहीं करने वाले छात्रों की अपेक्षा) ऐसे लोगों की मानसिक और सामाजिक कार्यक्षमता कम थी।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ यरुशलम के प्रोफेसर हगाई लेविन का कहना है कि इस अध्ययन से यह भी पता चलता है कि कैसे धूम्रपान और अवसाद, शारीरिक ग्रोथ से जुड़ा था, लेकिन अभी यह कहना थोड़ा जल्दबाजी होगा कि धूम्रपान के चलते डिप्रेशन की समस्या पैदा होती है और इसमें पाए जाने वाले तंबाकू के चलते मानसिक स्वास्थ्य पर एक गहरा प्रभाव पड़ता है।

डाक्टर की राय?
myUpchar से जुड़ी डॉक्टर शहनाज जफर के मुताबिक अक्सर देखा गया है कि जो लोग डिप्रेशन में या परेशान रहते हैं, वह अपने दिमाग को शांत करने के लिए धूम्रपान या किसी चीज (अल्कोहल) का सहारा लेते हैं। चूंकि, सिगरेट में पाया जाने वाला निकोटिन मूड को रिफ्रेश या रिलेक्स (आराम देना) करता है। इसलिए निकोटिन के सेवन के बाद व्यक्ति इसका आदी हो जाता है।

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लिहाजा, धूम्रपान की आदत को छोड़ने की स्थिति में परेशानी आती है, क्योंकि निकोटिन छोड़ने पर डोपामाइन (dopamine- दिमाग के अंदर का एक भाग) का स्तर कम हो जाता और इसके चलते मानसिक अस्थिरता, चिड़चिड़ापन जैसा महसूस होने लगता है। वहीं, अभी यह कहना थोड़ा मुश्किल है कि स्मोकिंग या धूम्रपान से डिप्रेशन होता है या डिप्रेशन वाले ज्यादातर लोग स्मोकिंग करते हैं। हां, इन दोनों बातों में एक संबंध या रिलेशन जरूर है।

रिपोर्ट के आधार पर देखा जाए तो इस विषय पर अभी थोड़े और शोध की जरूरत होगी, क्योंकि रिसर्च के दौरान धूम्रपान से मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कारणों का पता नहीं चलता। इसलिए विशेषज्ञ और डॉक्टरों को मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाली कोई खास वजह दिखाई नहीं देती।

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