त्वचा के चकत्ते एक ऐसी सामान्य समस्या है जिसमें हमारी त्वचा लाल हो जाती है या उसमें जलन होती है। यह समस्या एलर्जी, संक्रमण, मौसम में बदलाव या जलन पैदा करने वाले पदार्थों के संपर्क में आने के कारण हो सकती है। त्वचा के चकत्ते कारण के आधार पर निम्नलिखित प्रकार के हो सकते हैं:
- एटॉपिक डर्मेटाइटिस: एटॉपिक डर्मेटाइटिस को एक्जिमा के नाम से भी जाना जाता है, इस समस्या के परिणामस्वरूप त्वचा पर लाल और खुजलीदार धब्बे हो जाते हैं।
- कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस: त्वचा के जलन पैदा करने वाले पॉइजन आइवी जैसे पदार्थों के संपर्क में आने के कारण कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस की समस्या होती है। यह भारत में त्वचा पर चकत्तों का सबसे आम कारण है।
- डीशिड्रॉटिक डर्मेटाइटिस: हाथों और पैरों पर छोटे खुजली वाले फफोले हो जाते हैं।
- ड्रग रैश: ड्रग रिएक्शन के कारण होने वाली समस्या।
- हीट रैश: हीट रैश या घमौरी की समस्या गर्मी और नम मौसम के कारण होती है। (और पढ़ें - घमौरी से छुटकारा पाने के उपाय)
- इंटरट्रिगो: त्वचा की सलवटों में खुजलीदार लाल चकत्ते होना।
- सोरायसिस: सोरायसिस एक ऐसा क्रॉनिक त्वचा रोग है जिसमें त्वचा पर लाल परतदार धब्बे हो जाते हैं।
- दाद: फंगल संक्रमण के कारण त्वचा पर होने वाले चकत्ते दाद कहलाते हैं। (और पढ़ें - दाद के घरेलू उपाय)
- सेरकरियल डर्मेटाइटिस (या स्विमर्स इच): पानी से पैदा होने वाले परजीवियों के कारण खुजलीदार दाने होना।
होम्योपैथिक उपचार त्वचा के चकत्तों और त्वचा की अन्य परेशानियों के इलाज में काफी प्रभावशाली है। होम्योपैथी के अनुसार, डॉक्टर आपकी त्वचा के लक्षणों के साथ-साथ शारीरिक और मनोवैज्ञानिक लक्षणों को ध्यान में रखकर त्वचा के चकत्तों का इलाज करते हैं। त्वचा के चकत्तों के उपचार में मुख्य रूप से आर्सेनिकम एल्बम, ग्रेफाइट्स और सल्फर जैसी होम्योपैथी दवाएं उपयोग की जाती हैं।
(और पढ़ें - त्वचा पर चकत्तों के घरेलू उपाय)
- होम्योपैथी में त्वचा पर चकत्ते का इलाज कैसे होता है? - Homeopathy me Skin Rashes ka upchar kaise hota hai?
- त्वचा पर चकत्ते की होम्योपैथिक दवा - Skin Rashes ki homeopathic medicine
- होम्योपैथी में त्वचा पर चकत्ते के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Skin Rashes ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav
- त्वचा पर चकत्ते के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Skin Rashes ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
- त्वचा पर चकत्ते के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Skin Rashes ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
होम्योपैथी में त्वचा पर चकत्ते का इलाज कैसे होता है? - Homeopathy me Skin Rashes ka upchar kaise hota hai?
त्वचा के चकत्तों का होम्योपैथिक उपचार व्यक्ति में दिखने वाले तीन कारकों अर्थात्, चकत्तों का दिखना, व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक स्थिति और सामान्य रंग रूप पर निर्भर करता है।
होम्योपैथिक चिकित्सा “विषस्य विषमौषधम” अर्थात जहर ही जहर की दवा भी होता है, के सिद्धांत पर आधारित है। इसका मतलब यह है कि एक पदार्थ जो किसी स्वस्थ व्यक्ति में विशेष तरह के लक्षणों का कारण बनता है, वही लक्षण यदि बीमार व्यक्ति में हो तो उस पदार्थ को थोड़ी मात्रा में लेने पर वह ठीक हो सकता है। होम्योपैथिक दवाओं का केवल उतनी मात्रा में ही उपयोग किया जाता है जितनी शरीर को समस्या से लड़ने हेतु आवश्यक पदार्थों का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त होती है।
होम्योपैथी चिकित्सा संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, किसी भी होम्योपैथिक दवा का सेवन केवल समस्या के बजाय पूरे शरीर को ठीक करता है। यह प्रभाव एक्जिमा से पीड़ित लोगों की गवाही से सही साबित हुआ है, जिन्होंने बिना किसी दुष्प्रभाव के संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार महसूस करने के साथ-साथ समस्या से पूरी तरह राहत की मिलने की जानकारी दी।
एटॉपिक डर्मेटाइटिस से पीड़ित 38 वर्षीय भारतीय व्यक्ति की केस स्टडी से पता चला कि ग्रेफाइट्स और कास्टिक जैसी होम्योपैथिक दवाएं बिना किसी हानिकारक प्रभाव और अन्य उपचार से किसी भी तरह की सहायता के बिना त्वचा की समस्या को ठीक करने में सहायक होती हैं।
(और पढ़ें - एक्जिमा के घरेलू उपाय)
त्वचा पर चकत्ते की होम्योपैथिक दवा - Skin Rashes ki homeopathic medicine
त्वचा पर चकत्ते के होम्योपैथिक उपचार में निम्नलिखित दवाओं का उपयोग किया जाता है:
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ऐलूमिना (Alumina)
सामान्य नाम: ऑक्साइड ऑफ एल्यूमीनियम (Oxide of aluminium)
लक्षण: यह दवा कमजोरी से पीड़ित बुजुर्ग व्यक्तियों को दी जाती है। यह त्वचा रोगों से पीड़ित लोगों को भी लाभ देती है। निम्नलिखित लक्षणों में इस दवा की आवश्यकता पड़ती है:- शरीर गर्म होने पर खुजली होना (और पढ़ें - खुजली दूर करने के घरेलू उपाय)
- त्वचा का रूखापन
- खुजली और रूखापन जिससे अक्सर रक्तस्राव होता है
- नाजुक और दर्दनाक त्वचा
- व्यक्ति की स्थिति दोपहर के दौरान, जागने पर या आलू खाने से खराब हो जाती है और शाम के दौरान या खुली हवा में राहत मिलती है।
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एन्थ्राकोकैली (Anthracokali)
सामान्य नाम: उबलते हुए कास्टिक पोटाश में घुला हुआ एन्थ्रेसाइट कोयला (Anthracite coal dissolved in boiling caustic potash)
लक्षण: निम्नलिखित सामान्य लक्षणों में इस दवा से राहत मिलती है:- त्वचा का संक्रमण
- खाज
- पुराने दाद (और पढ़ें - दाद का आयुर्वेदिक इलाज)
- त्वचा का फटना
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एंटीमोनियम क्रूडम (Antimonium Crudum)
सामान्य नाम: ब्लैक सल्फाइड ऑफ़ एंटीमनी (Black sulphide of antimony)
लक्षण: एंटीमोनियम क्रूडम तब दी जाती है जब प्रभावित क्षेत्र में ठंडे स्नान या गर्म मौसम से परेशानी होती हो और जहां शाम के समय तथा पानी के संपर्क में अधिक रहने से दर्द बढ़ जाता हो। निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव करने वाले रोगियों को इस दवा से लाभ होता है:- त्वचा पर तीखे और सींग जैसे मस्से
- एक्जिमा (और पढ़ें - एक्जिमा का होम्योपैथिक इलाज)
- मुंहासे
- पपड़ीदार त्वचा
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एरब्युटस एण्ड्रैक्ने (Arbutus Andrachne)
सामान्य नाम: स्ट्राबेरी ट्री(Strawberry tree)
लक्षण: त्वचा के निम्नलिखित लक्षणों में यह दवा उपयोगी है:- विभिन्न जगहों में एक्जिमा होना (और पढ़ें - एक्जिमा में क्या खाएं)
- एक्जिमा के साथ जोड़ों में दर्द होना (और पढ़ें - एक्जिमा के लिए योग)
- त्वचा की परेशानियों के साथ जोड़ों में सूजन होना
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आर्सेनिकम एल्बम (Arsenicum Album)
सामान्य नाम: आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड (Arsenic trioxide)
लक्षण: यह दवा ऐसे बेचैन लोगों को दी जाती है, जो आमतौर पर चुस्त और तुनुक मिजाज होते हैं। ऐसे व्यक्तियों की हालत आधी रात के बाद, ठंडे मौसम के संपर्क में आने से और समुद्र के किनारे जाने पर खराब हो जाती है और गर्म सिकाई करने पर राहत मिलती है। यह दवा लेने पर निम्नलिखित लक्षणों से राहत मिली हैं:- पूरे शरीर में ठंडापन महसूस होना (और पढ़ें - ठंड लगने का इलाज)
- त्वचा में खुजली और जलन होना
- रूखी, खुरदरी और पपड़ीदार त्वचा
- सोरायसिस (और पढ़ें - सोरायसिस के घरेलू उपाय)
- त्वचा पर गांठदार (सख्त) उभार होना
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बर्बेरिस एक्विफोलियम (Berberis Aquifolium)
सामान्य नाम: माउंटेन ग्रेप (Mountain grape)
लक्षण: यह दवा निम्नलिखित लक्षणों के लिए दी जाती है:- पपड़ीदार के साथ सूखी और खुरदरी त्वचा
- गर्दन और चेहरे पर दाने निकलना
- सोरायसिस (और पढ़ें - सोरायसिस का होम्योपैथिक इलाज)
- ड्राई एक्जिमा के साथ मुंहासे होना (और पढ़ें - एक्जिमा का आयुर्वेदिक इलाज)
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बोरिकम एसिडम (Boricum Acidum)
सामान्य नाम: बोरेसिक एसिड (Boracic Acid)
लक्षण: यह दवा मुख्य रूप से त्वचा के संक्रमण के उपचार के लिए दी जाती है। निम्नलिखित लक्षणों में इस दवा से राहत मिलती है:- पपड़ी उतरने वाला डर्मेटाइटिस
- आंखों के आसपास सूजन (और पढ़ें - आंखों की सूजन का इलाज)
- त्वचा का लाल होना
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कार्बो वेजिटेबिलिस (Carbo vegetabilis)
सामान्य नाम: वेजिटेबल चारकोल (Vegetable charcoal)
लक्षण: यह दवा उन भारी शरीर वाले लोगों के लिए अच्छी होती है जो सुस्त होते हैं और जिनके शरीर में अपर्याप्त ऑक्सीकरण के संकेत दिखते हैं। व्यक्ति की स्थिति शाम के समय और दूध, मक्खन या कॉफी जैसे कुछ उत्पादों के सेवन से खराब हो जाती है और हवा करने से राहत मिलती है। निम्नलिखित अन्य लक्षणों में यह दवा उपयोग की जाती है:- त्वचा का रंग नीला पड़ना
- खुजली, जो शाम के दौरान बढ़ जाती है
- बिस्तरकी गर्मी से खुजली बढ़ जाना (और पढ़ें - खुजली का होम्योपैथिक इलाज)
- त्वचा में पसीना और गीलापन बढ़ जाना (और पढ़ें - ज्यादा पसीना आना से रोकने के घरेलू उपाय)
- पैर की उंगलियों में मांस गल जाना (गैंग्रीन हो जाना)
- चकत्ते जिनमें रगड़ने पर आसानी से खून बहाने लगता है
- बाल झड़ना (और पढ़ें - बाल झड़ने से रोकने के घरेलू उपाय)
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कैस्टर एक्वी (Castor Equi)
सामान्य नाम: रूडिमेंट्री थंबनेल ऑफ द हॉर्स (Rudimentary thumbnail of the horse)
लक्षण: यह दवा निम्नलिखित लक्षणों से राहत देने में मदद करती है:- त्वचा का मोटा होना
- माथे और महिलाओं के स्तनों पर मस्से होना
- बहुत अधिक रूखापन जिससे हाथ फटना
- सोरायसिस (और पढ़ें - सोरायसिस का आयुर्वेदिक इलाज)
- छाती में खुजली होना
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कॉस्टिकम (Causticum)
सामान्य नाम: हैनिमैनस टिंक्चुरा एक्रिस साइन काली (Hahnemann’s Tinctura acris sine Kali)
लक्षण: यह दवा तब दी जाती है जब ठंड के मौसम या हवा से समस्या बढ़ती है और गर्म मौसम या बिस्तर की गर्मी से राहत मिलती है। निम्नलिखित लक्षणों वाले लोगों को इस उपाय से लाभ होते हैं:- बाहों, कान और पैरों की त्वचा की सलवटों में तकलीफ होना
- चेहरे पर मस्से होना
- नाक के सिरे पर मस्से होना
- त्वचा की समस्या जो कि आसानी से ठीक नहीं होती
- पुराने घाव जो फिर से खुल गए हो (और पढ़ें - घाव ठीक करने के घरेलू उपाय)
- रूखी त्वचा जिसमें आसानी से खून आ जाता है (और पढ़ें - रूखी त्वचा के लिए घरेलू उपाय)
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डुलकमारा (Dulcamara)
सामान्य नाम: बिटर-स्वीट (Bitter-sweet)
लक्षण: यह दवा आमतौर पर ठंडे नम मौसम के कारण होने वाली त्वचा की समस्या में दी जाती है जो गर्म सिकाई या चलने से कम हो जाती है। इस उपाय से निम्नलिखित लक्षणों में राहत मिलती है:- त्वचा पर दाने निकलना
- छाले, जिनमें आसानी से खून आ जाना
- त्वचा पर लाल दाग और फोड़े होना (और पढ़ें - फोड़े हटाने के घरेलू नुस्खे)
- चेहरे और हाथों पर बड़े-बड़े मस्से हो जाना (और पढ़ें - मस्से हटाने के घरेलू उपाय)
- दाने निकलना, जिनसे अक्सर फटने पर स्राव होता है
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फ्लोरिकम एसिडम (Fluoricum Acidum)
सामान्य नाम: हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल (Hydrofluoric Acid)
लक्षण: यह दवा उन लोगों के लिए है जो ठंड के प्रति संवेदनशील होते हैं और जब आसपास या प्रभावित क्षेत्र को गर्मी दी जाती है तो बेहतर महसूस करते हैं । निम्नलिखित लक्षणों में यह दवा दी जाती है:- छाले होना
- त्वचा की खुजली
- खुजली विशेष रूप से गुदा के छेद में
- त्वचा के छिद्रों से गर्म उत्सर्जन होने जैसा महसूस होना
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ग्रेफाइट्स (Graphites)
सामान्य नाम: ब्लैक लेड (Black lead)
लक्षण: यह दवा मजबूत और गोरी चमड़ी वाले लोगों के लिए सही है। ग्रेफाइट उन लोगों को भी दी जाती है जिनको आसानी से ठंड लग जाती है और जिनकी हालत रात के समय और तापमान में वृद्धि से खराब हो जाती है। ऐसे व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखते हैं:- रूखी और सूखी त्वचा
- बार-बार फुंसियां और मुंहासे होना (और पढ़ें - मुंहासे हटाने के घरेलू)
- त्वचा पर दाने निकलना जिनसे फटने पर चिपचिपा स्राव होना
- हाथों, पैरों तथा कानों के पीछे की त्वचा की सलवटों में लालिमा और खुजली
- त्वचा में जलन और चुभन वाला दर्द
- मुंह के चारों ओर, पैर की उंगलियों के बीच और निपल्स की त्वचा का फटना
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रस टाक्सिकोडेन्ड्रन (Rhus Toxicodendron)
सामान्य नाम: पाइजन आइवी (Poison ivy)
लक्षण: रस टाक्सिकोडेन्ड्रन त्वचा की समस्याओं के लिए एक बेहतरीन दवा है। यह उन परिस्थितियों में असरदार है जो ठंड के प्रति संवेदनशील होती हैं तथा जब प्रभावित हिस्सा आराम की अवस्था में होता है तब समस्या बढ़ जाती है और गर्म जलवायु एवं प्रभावित हिस्से को हिलाने डुलाने से राहत मिलती है। निम्नलिखित सामान्य संकेत और लक्षणों में यह दवा दी जाती है:- दाद (और पढ़ें - दाद के प्राकृतिक तरीके)
- त्वचा में सूजन
- त्वचा लाल होना
- बहुत अधिक खुजली होना
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सल्फर (Sulphur)
सामान्य नाम: सब्लिमेटेड सल्फर (Sublimated sulphur)
लक्षण: सल्फर एक सामान्य होम्योपैथिक दवा है, जो गर्मी और जलन पैदा करके त्वचा पर असर करती है। यह आमतौर पर खराब हाइजीन वाले लोगों को दी जाती है जो संक्रमण से ग्रस्त होते हैं। यह दवा उन समस्याओं में दी जाती है जो समय-समय पर दोबारा होती हैं और आराम करने, जब प्रभावित क्षेत्र अक्सर नमी या पानी के संपर्क में होता है तथा शराब के सेवन से बढ़ जाती हैं और शुष्क व गर्म मौसम से राहत मिलती है। निम्नलिखित सामान्य लक्षणों में सल्फर दी जाती है:- सूखी और पपड़ीदार त्वचा
- अस्वस्थ त्वचा जिससे हर छोटी चोट के बाद मवाद बन जाना
- त्वचा पर मुहांसे और दाने होना (और पढ़ें - मुंहासे हटाने की क्रीम)
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थूजा ऑक्सीडेंटलिस (Thuja Occidentalis)
सामान्य नाम: आर्बर विटै (Arbor Vitae)
लक्षण: थूजा ऑक्सीडेंटलिस मुख्य रूप से त्वचा पर असर करती है। यह दवा निम्नलिखित लक्षणों पर अच्छी तरह से कार्य करती है:- त्वचा के मस्से (और पढ़ें - मस्से का होम्योपैथिक इलाज)
- झाइयां (और पढ़ें - चेहरे की झाइयां हटाने के उपाय)
- रूखी और भूरे रंग के धब्बे वाली त्वचा
- रात के समय, बिस्तर की गर्माहट या ठंडी हवा से समस्या के लक्षण बढ़ जाते हैं। चाय या किसी वसायुक्त भोजन के सेवन के बाद भी समस्या बढ़ जाती है।
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ट्यूबरक्युलिनम (Tuberculinum)
सामान्य नाम: न्यूक्लियोप्रोटीन (A nucleoprotein)
लक्षण: ट्यूबरक्युलिनम उन लोगों को दी जाती है जो शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से बहुत संवेदनशील होते हैं और आसानी से थक जाते हैं। उनकी समस्या आर्द्र और नम वातावरण में बढ़ जाती है तथा खुली हवा में सुधर जाती है। निम्नलिखित सामान्य लक्षणों में इस दवा की आवश्यकता होती है:- एक्जिमा (और पढ़ें - एक्जिमा से मुक्ति के लिए घरेलू मास्क)
- त्वचा में बहुत तेज खुजली जो रात के समय बढ़ जाती है
- सोरायसिस
- क्षय रोग (टुबर्क्युलोसिस) से पीड़ित बच्चों में मुंहासे होना
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अर्टिका यूरेन्स (Urtica Urens)
सामान्य नाम: बिच्छू बूटी या स्टिन्गिंग नेटल (Stinging nettle)
लक्षण: इस दवा से उन लक्षणों का इलाज इलाज किया जाता है जो एक समय अंतराल में आते हैं और ठंड के मौसम तथा छूने से बढ़ जाते हैं। अर्टिका यूरेन्स निम्नलिखित समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करती है:- पूरी त्वचा पर जलती हुई गर्मी महसूस होना
- खुजली
- चुभन वाले दर्द के साथ-साथ गर्मी महसूस होना
होम्योपैथी में त्वचा पर चकत्ते के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Skin Rashes ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav
भारत में आमतौर पर त्वचा के चकत्ते खराब जीवन स्तर और त्वचा में परेशानी पैदा करने वाले पदार्थों के संपर्क में आने के कारण होते हैं। ये छूने पर आसानी से फैलते हैं। इसलिए, व्यक्ति और उसके आस-पास के परिवेश की स्वच्छता का स्तर त्वचा पर चकत्ते के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
होम्योपैथिक उपचार में अक्सर व्यक्ति को जल्दी ठीक होने के लिए उपचार के दौरान एक सख्त दिनचर्या का पालन करना पड़ता है। दवा के प्रभावी और बेहतर परिणाम के लिए इस दिनचर्या के चरणों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। नीचे त्वचा पर चकत्ते होने के जोखिम को कम करने और उपचार की क्षमता में सुधार करने के लिए कुछ उपाय दिए गए हैं।
क्या करें:
- स्वयं की अच्छे से साफ सफाई रखें।
- खुजली और चकत्ते की समस्या बढ़ने से रोकने के लिए स्वच्छ कॉटन या रेशम से बने कपड़े पहने चाहिए।
- स्वस्थ आहार का सेवन करें। ऐसे खाद्य उत्पादों को छोड़ दे जो चकत्तों की समस्या को बढ़ाते हो।
- मरीज के आसपास तापमान और नमी उसकी आवश्यकता के अनुसार बनाए रखनी चाहिए।
क्या न करें:
- अधिक नमक या चीनी वाले खाने का सेवन नहीं करना चाहिए।
- कैफीनयुक्त पेय पदार्थों और मादक पेय का सेवन नहीं करना चाहिए।
- होम्योपैथिक दवाओं के असर में किसी भी रुकावट को दूर करने के लिए खट्टे खाद्य उत्पादों का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।
- ऊनी या सिंथेटिक कपड़े नहीं पहनने चाहिए क्योंकि वे त्वचा की जलन को बढ़ा सकते हैं।
- रोगी को उन जगहों पर नहीं रहना चाहिए जो गीली, गर्म या नम हैं, क्योंकि यह दवाओं या रोगी की समस्या से मेल नहीं खाता है।
त्वचा पर चकत्ते के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Skin Rashes ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
होम्योपैथिक दवाओं को घोले हुए रूप में उपयोग किया जाता है, जिससे इलाज करवाने वाले के लिए साइड इफेक्ट्स का कोई खतरा नहीं होता है। हर प्रकार लक्षणों के अनुरूप प्राकृतिक उत्पादों से बने होम्योपैथिक उपचार और संपूर्ण स्वास्थ्य को ध्यान में रख कर उपयोग करने के कारण, ये दुष्प्रभावों से मुक्त हैं तथा शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं सहित किसी भी उम्र के लोगों के लिए सुरक्षित हैं।
हालांकि, स्वयं दवा लेने से बचने की सलाह दी जाती है और इसके बजाय कोई भी दवा लेने से पहले एक अनुभवी और योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श करें क्योंकि जरुरत से अधिक खुराक लेने से कुछ हल्के नुकसान हो सकते हैं।
(और पढ़ें - त्वचा की चिप्पी का इलाज)
त्वचा पर चकत्ते के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Skin Rashes ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
त्वचा में खुजली और लाल धब्बे त्वचा पर चकत्ते की विशेषता है। हमारे देश में त्वचा के चकत्तों का मुख्य कारण साफ सफाई की कमी है, इसके कारण कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस भारत में त्वचा पर चकत्ते का सबसे प्रचलित रूप है।
होमियोपैथी में उपलब्ध विभिन्न तरह की दवाओं से किसी भी प्रकार के त्वचा के चकत्तों का प्रभावी उपचार संभव है। इसके अलावा, होम्योपैथिक उपचार में अक्सर त्वचा पर चकत्ते का पूरा इलाज होता है और समस्या को दोबारा होने से रोकने में मदद मिलती है।
त्वचा पर चकत्ते के उपचार के लिए एलोपैथी में बहुत ही सीमित संख्या में दवाएं उपलब्ध हैं, जिनमें से कई या तो क्षमता में कम हैं या जिनके साइड इफेक्ट हैं जो समय के साथ बढ़ जाते हैं। होम्योपैथिक उपचार की साबित हो चुकी प्रभावशीलता के कारण त्वचा पर चकत्तों के लिए यह तुलनात्मक रूप से सुरक्षित और विश्वसनीय विकल्प है।
(और पढ़ें - त्वचा की देखभाल कैसे करें)
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संदर्भ
- MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Rashes
- British Homeopathic Association. Skin (Spotlight series). London; [Internet]
- British Homeopathic Association. What is homeopathy?. London; [Internet]
- Suraia Parveen. Homoeopathic treatment in a case of co-morbid atopic dermatitis and depressive disorder. Year : 2016 Volume : 10 Issue : 1 Page : 75-82
- William Boericke. Homoeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1
- Wenda Brewster O’Reilly. Organon of the Medical art by Wenda Brewster O’Reilly. B jain; New Delhi
- British Homeopathic Association. Eczema – management of. London; [Internet]