एड़ी का दर्द एक ऐसी समस्या है जिसमें आमतौर पर चलते समय, व्यायाम करते हुए और पैरों को उठाते समय एड़ी या एड़ी के पीछे के हिस्से में परेशानी महसूस होती है। कोई भी दिन-प्रतिदिन का शारीरिक काम करने के लिए हमें पैरों पर दबाव डालना पड़ता है और इस तरह का कोई भी दबाव एड़ी में दर्द का कारण हो सकता है। कई बीमारियां भी एड़ी में दर्द का कारण हो सकती है, जैसे अचिल्लेस टेंडनाइटिस (अचिल्लेस टेंडन में चोट या झटका) और प्लांटर फेशिआइटिस (प्लांटर फेशिया, ऊतकों का समूह जो एड़ियों की हड्डी को पैर के अंगूठे से जोड़ता है, में इंफ्लमैशन) आदि।
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निम्नलिखित कुछ अन्य स्थितियों के कारण भी एड़ी में दर्द हो सकता है:
- कैल्केनियल स्पर यानि एड़ी की हड्डी बढ़ जाना, जो ज्यादातर मामलों में एड़ी में दर्द का कारण बनता है
- मांसपेशियों में खिंचाव
- हड्डी का फ्रैक्चर
- आर्थराइटिस (और पढ़ें - आर्थराइटिस के घरेलू उपाय)
- नसों को नुकसान पहुंचना
- टेंडनाइटिस यानि टेंडन (मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़े रखने वाले ऊतक) में इंफ्लमैशन की समस्या
- गांठ
पैरों पर अनावश्यक दबाव डालना या टाइट जूते पहनने से एड़ी में दर्द होने की आशंका रहती है। चपटे पैर या धनुषाकार पैर जैसे अलग संरचना वाले पैरों में यह समस्या होने का जोखिम अधिक होता है।
प्लांटर फेशिआइटिस एड़ी के दर्द के सबसे आम कारणों में से एक है। भारत में, किसी भी तरह की पैरों की समस्याओं वाली लगभग 80% आबादी को प्लांटर फेशिआइटिस होता है। यह समस्या अक्सर खराब गुणवत्ता वाले जूते पहनने या फ्लैट पैर के कारण होती है।
एड़ी के दर्द के उपचार में मदद के लिए कई प्रकार की दवाएं मौजूद हैं, लेकिन कोई भी दवा इस समस्या को स्थायी रूप से ठीक नहीं करती है। फिजियोथेरेपी भी एड़ी के दर्द वाले लोगों के लिए एक वरदान की तरह है लेकिन इसे रोजाना करने की आवश्यकता पड़ती है। पारंपरिक दवाओं से एड़ी के दर्द को दूर करने में मदद मिल सकती है लेकिन अक्सर इनके कई दुष्प्रभाव जैसे अपच, पीड़ा, चक्कर आना और मरोड़ आदि होते हैं। लंबी अवधि तक दर्द निवारक दवाओं को लेने से भी किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
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होम्योपैथी इस समस्या में एक राहत प्रदान करती है क्योंकि कई होम्योपैथिक दवाओं से एड़ी में दर्द की समस्या से जुड़ी अंतर्निहित परेशानियों से छुटकारा पाने में बहुत मदद मिलती है। इससे व्यक्ति को किसी भी तरह का साइड इफेक्ट भी नहीं होता है। अर्निका मोंटाना, कैल्केरिया फ्लोरिका, रस टाक्सिकोडेन्ड्रन और लिडम पैलेस्टर आदि कुछ दवाएं हैं जो प्रभावी रूप से एड़ी के दर्द के इलाज में उपयोग की जाती हैं।
(और पढ़ें - पैरों में दर्द का होम्योपैथिक इलाज)
- होम्योपैथी में एड़ी में दर्द का इलाज कैसे होता है? - Homeopathy me Heel Pain ka upchar kaise hota hai?
- एड़ी में दर्द की होम्योपैथिक दवा - Heel Pain ki homeopathic medicine
- होम्योपैथी में एड़ी में दर्द के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Heel Pain ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav
- एड़ी में दर्द के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Heel Pain ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
- एड़ी में दर्द के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Heel Pain ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
होम्योपैथी में एड़ी में दर्द का इलाज कैसे होता है? - Homeopathy me Heel Pain ka upchar kaise hota hai?
हम लोग अक्सर एड़ी में दर्द को नजरअंदाज कर देते हैं, जब तक कि दर्द बहुत गंभीर या तेज न हो जाए। एक अध्ययन में 200 लोगों के पैरों का एक्स-रे किया गया, इनमें 100 पुरुष और 100 महिलाएं थी। इसमें देखा गया कि 59% या 118 व्यक्तियों में कैल्केनियल स्पर की समस्या थी, जिनमें से अधिकांश महिलाएं थीं।
एड़ी के दर्द से पीड़ित व्यक्तियों को अक्सर पारंपरिक दर्द निवारक दवाएं या कई मामलों में फिजियोथेरेपी एक अच्छा विकल्प लगता है, लेकिन दोनों की अपनी कमियां होती हैं। दर्द निवारक दवाओं के अधिक सेवन से कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं और किडनी को भी प्रभावित कर सकती हैं। वहीं, लक्षणों से राहत मिल जाने के बाद भी समस्या को वापस होने से रोकने के लिए नियमित फिजियोथेरेपी की आवश्यकता पड़ती है।
दूसरी ओर, होम्योपैथी लक्षणों को दबाने के बजाय व्यक्ति का सम्पूर्ण इलाज करती है, इसलिए यह समस्या से लंबे समय के लिए राहत प्रदान करती है। पोडियाट्रिक (पैरों के डॉक्टर) होम्योपैथिक डॉक्टर के पास जाने पर जांच की प्रक्रिया लगभग किसी भी अन्य शारीरिक टेस्ट के समान ही होती है। एड़ी में दर्द की समस्या के लिए होम्योपैथिक डॉक्टर फ्रैक्चर का पता करने के लिए आपको एक्स-रे करवाने के लिए कह सकते हैं।
(और पढ़ें - पैर में फ्रैक्चर का इलाज)
किस रोगी को कैसा होम्योपैथिक उपचार दिया जाएगा यह पूरी तरह से रोगी के लक्षणों और वे कैसे उत्पन्न हो रहे हैं इस पर निर्भर करता है। इसलिए, होम्योपैथी बिना किसी दुष्प्रभाव के समस्या का स्थायी इलाज कर देती है।
92 लोगों पर किए गए एक अध्ययन में, 70 महिलाओं और 22 पुरुषों को शामिल किया गया। ये सभी कैल्केनियल स्पर के कारण या बिना इसके एड़ी के दर्द से पीड़ित थे। रिपोर्ट से पता चला कि होम्योपैथिक उपचार एड़ी में दर्द को कम करने में प्रभावी होता है। इस अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों के लिए कैल्केरिया फ्लोरिका, रस टाक्सिकोडेन्ड्रन और लिडम पैलेस्टर जैसी कुछ दवाओं का उपयोग किया गया। उपचार के बाद, लगभग 3/4 प्रतिभागियों की समस्या ठीक हो गई।
निम्नलिखित कुछ अन्य होम्योपैथिक मलहम हैं, जो एड़ी के दर्द के कारणों को कम करने में सहायक होते हैं:
- नील पड़ने पर अर्निका मोंटाना क्रीम (और पढ़ें - नील क्यों पड़ते हैं)
- गहरे नील पड़ने पर बेलिस पेरेनिस क्रीम
- नर्व से जुड़े दर्द के लिए हाइपेरिकम पेरफोराटम क्रीम
- सूजन के लिए रूटा ग्रेवियोलेंस क्रीम
(और पढ़ें - सूजन का आयुर्वेदिक इलाज)
एड़ी में दर्द की होम्योपैथिक दवा - Heel Pain ki homeopathic medicine
एड़ी में दर्द के लिए उपयोग की जाने वाली होम्योपैथिक दवाएं निम्नलिखित हैं:
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एपिस मेलिफिका (Apis Mellifica)
सामान्य नाम: हनी बी (Honey Bee)
लक्षण: यह दवा आमतौर पर तब दी जाती है जब शरीर के प्रभावित हिस्से में सूजन होती है या दर्द और लालिमा के साथ एड़ी को छूने से परेशानी महसूस होती है। निम्नलिखित कुछ अन्य लक्षणों में इस दवा का उपयोग किया जाता है:- एड़ी या पैरों के तलवों में दर्द (और पढ़ें - पैर में दर्द के घरेलू उपाय)
- एड़ी में सूजन या लालिमा (और पढ़ें - पैरों में सूजन का होम्योपैथिक इलाज)
- एड़ी में जलन वाला दर्द जो कि बर्फ की सिकाई से कम हो जाता है
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अर्निका मोंटाना (Arnica Montana)
सामान्य नाम: लेपर्ड्स बेन (Leopard’s bane)
लक्षण: यह दवा आमतौर पर गिरने या चोट लगने जैसी शारीरिक क्षति के कारण होने वाले दर्द का इलाज करने के लिए दी जाती है। निम्नलिखित कुछ सामान्य लक्षणों में भी अर्निका मोंटाना दी जाती है:- ऐसा दर्द जो गर्म सिकाई से कम हो जाता है
- जूतों के कारण एड़ी में दर्द होना
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बेलिस पेरेनिस (Bellis Perennis)
सामान्य नाम: डेजी (Daisy)
लक्षण: यह दवा मुख्य रूप से सर्जरी के बाद होने वाली ऊतकों की गहरी चोटों का इलाज करने के लिए उपयोग की जाती है। यह निम्नलिखित लक्षणों में भी दी जाती है:- पैरों में पीड़ा
- मांसपेशियों के तंतुओं की क्षति
- शारीरिक क्षति जिसके कारण गहरे नील पड़ना
- नर्व में चोटों के परिणामस्वरूप दर्द और ठंड सहन न होना
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ब्रायोनिया अल्बा (Bryonia Alba)
सामान्य नाम: वाइल्ड हॉप्स (Wild hops)
लक्षण: ब्रायोनिया अल्बा आमतौर पर दर्द में उपयोग की जाती है। ब्रायोनिया अक्सर काले रंग के लोगों को दी जाती है। यह शाम के समय की हवादार, गर्म जलवायु में सबसे अच्छी तरह काम करती है। निम्नलिखित लक्षणों में यह दवा दी जाती है:- प्रभावित क्षेत्र में जलन महसूस होना
- सूजन के साथ सनसनी महसूस होना
- चुभन वाला दर्द
- थोड़ी सी भी हरकत पर दर्द बढ़ जाना
- पैर लाल पड़ना
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हाइपेरिकम पेरफोराटम (Hypericum perforatum)
सामान्य नाम: सेंट जोंस वोर्ट (St. John’s wort)
लक्षण: इस दवा का उपयोग तंत्रिका की क्षति के मामलों और सर्जरी के बाद के अवसाद से निपटने के लिए किया जाता है। यह जलन और अकड़न की समस्या में भी सहायक है। निम्नलिखित लक्षणों वाले लोगों को इस दवा से लाभ होता है:- जलन के साथ दर्द
- नसों को नुकसान के कारण दर्द, जो एड़ी से लेकर कमर तक महसूस होता है (और पढ़ें - कमर में दर्द का इलाज)
- सिरहन भरा दर्द या अकड़न
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काली बाइक्रोमिकम (Kali Bichromicum)
सामान्य नाम: बाईक्रोमेट ऑफ़ पोटाश (Bichromate of potash)
लक्षण: यह दवा गोरे, मोटे लोगों के लिए उपयोगी है, जिनको सिफिलिटिक या स्क्रॉफ़ुलस की समस्या रही है। निम्नलिखित लक्षणों में इस दवा का उपयोग किया जा सकता है:- बार बार आने जाने वाला दर्द
- दबाव डालने पर पैरों में दर्द
- अचिल्लेस टेंडन में दर्द (और पढ़ें - अचिल्लेस टेंडन की समस्या का इलाज)
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लिडम पैलेस्टर (Ledum palustre)
सामान्य नाम: मर्श टी (Marsh Tea)
लक्षण: निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव होने पर यह दवा दी जाती है:- एड़ी के चारों ओर सूजन
- तलवों में दर्द के कारण चलना असंभव हो जाना
- रात के समय और जब बिस्तर पर लेटते हैं तो में दर्द बढ़ जाना
- बर्फ या किसी ठंडी चीज से छूने पर दर्द में कमी
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रोडोडेंड्रोन फेरुगाइनम (Rhododendron Ferrugineum)
सामान्य नाम: स्नो रोज (Snow rose)
लक्षण: रोडोडेंड्रोन तब दी जाती है जब तूफान आने के समय लक्षण बढ़ जाते हैं और तूफान जाने के बाद बेहतर हो जाते हैं। निम्नलिखित सामान्य लक्षणों में यह दवा उपयोग करने की सलाह दी जाती है:- एड़ी की सूजन
- पैरों को आराम देने के दौरान भी दर्द का बढ़ना
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रस टाक्सिकोडेन्ड्रन (Rhus Toxicodendron)
सामान्य नाम: पाइजन आइवी (Poison ivy)
लक्षण: रस टाक्सिकोडेन्ड्रन अक्सर रेशेदार ऊतकों और टेंडन्स को नुकसान की स्थिति में उपयोग की जाती है, जिसके परिणामस्वरूप दर्द होता है। निम्नलिखित लक्षण इस दवा की जरूरत का संकेत देते हैं:- जलन और प्रभावित क्षेत्र में दर्द
- एड़ी के आसपास के लिगमेंट और ऊतकों में दर्द
- ठंड के प्रति संवेदनशीलता
- पैर में झुनझुनी महसूस होना
- आराम करते समय भी दर्द बढ़ जाना
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रूटा ग्रेवियोलेंस (Ruta Graveolens)
सामान्य नाम: रू बिटरवर्ट (Rue Bitterwort)
लक्षण: निम्नलिखित लक्षणों में रूटा ग्रेवियोलेंस का उपयोग किया जाता है:- पैरों में नील पड़ना
- अचिल्लेस टेंडन में दर्द
- पैरों में दर्द और बेचैनी (और पढ़ें - बेचैनी कैसे दूर करें)
- पैरों के चारों ओर टेंडन में पीड़ा
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स्टैफिसैग्रिया (Staphysagria)
सामान्य नाम: स्टावेसेक्रे (Stavesacre)
लक्षण: यह दवा निम्नलिखित लक्षणों से छुटकारा पाने में मदद करती है:- पैरों के तलवों में तेज दर्द
- अचिल्लेस टेंडन में दर्द
- हिलने डुलने और दबाव डालने पर परेशानी
होम्योपैथी में एड़ी में दर्द के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Heel Pain ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav
एड़ी का दर्द भारतीयों में एक बहुत ही सामान्य समस्या है। यह इतनी आम हैं कि जब तक लक्षण बहुत तेज नहीं हो जाते हैं कई लोग इसे पहचान भी नहीं पाते। अक्सर यह समस्या पैरों के प्रति लापरवाही का परिणाम होती है। खराब तलवे वाले या ऊँची एड़ी वाले जूते भी इस समस्या को पैदा कर सकते हैं। अनहेल्दी भोजन और जीवन शैली की गलत आदतों के कारण यह समस्या अधिक नुकसान पहुंचाती है। इसलिए होम्योपैथिक दवाओं की दक्षता बनाए रखने के लिए कुछ खाद्य पदार्थों और सुगंधित उत्पादों के उपयोग से बचना जरूरी है।
यहाँ कुछ ऐसी चीजों की सूची दी गई है:
क्या करें:
- हेल्दी और पौष्टिक आहार लें।
- फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा दी गई सलाह के अनुसार हल्के व्यायाम करें। (और पढ़ें - व्यायाम करने का सही समय)
- यदि वर्तमान आवास रोगी की समस्या के लिए उपयुक्त नहीं हो उसमें सुधार किया जाना चाहिए।
- आमतौर पर एड़ी का दर्द या तो गर्म या ठंडे मौसम के प्रति संवेदनशील होता है, इसलिए रोगी के लक्षणों के अनुसार उसके परिवेश का तापमान बनाए रखा जाना चाहिए।
क्या न करें:
- उपचार के दौरान शराब और तंबाकू नहीं करना चाहिए। कॉफी और चाय जैसे स्ट्रांग पेय पदार्थों का भी सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि वे होम्योपैथिक दवाओं के काम में बाधा डालते हैंं।
- खट्टे और मसालेदार भोजन जैसे अचार और मिर्च से परहेज करना चाहिए।
- किसी को कभी भी बिना सही जुते या चप्पल पहने और बिना डॉक्टर की सलाह का पालन किए नहीं चलना चाहिए।
- दवा या फिजियोथेरेपी के दौरान ऐसे व्यायाम नहीं करने चाहिए जो पैरों को प्रभावित करते हैं और अनावश्यक होते हैं। (और पढ़ें - व्यायाम से सम्बंधित मिथ्स)
- जल्दी ठीक होने और समस्या को बढ़ने से रोकने के लिए बहुत अधिक गर्म या ठंडे मौसम में नहीं रहना चाहिए।
एड़ी में दर्द के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Heel Pain ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
होम्योपैथिक दवाओं को प्राकृतिक पदार्थों से बनाया जाता है और बेहद ही कम खुराक में दिया जाता है, इसलिए किसी भी तरह के दुष्प्रभाव का जोखिम बहुत ही कम रहता है। हालांकि, होम्योपैथी में “सबके लिए एक उपाय” नहीं होता है और दवा की अधिक मात्रा का सेवन करने से कुछ मामलों में अवांछित प्रभाव हो सकते हैं। अतः यह सलाह दी जाती है कि घर पर इनमें से कोई भी उपाय करने से पहले डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है।
(और पढ़ें - घुटनों में दर्द का होम्योपैथिक इलाज)
एड़ी में दर्द के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Heel Pain ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
एड़ी में दर्द और पैर तथा एड़ी की अन्य समस्याएं वास्तव में अधिकांश आबादी के लिए सामान्य होती हैं। हालाँकि, लगभग 80% लोगों को अपने पैरों में समस्या होने के बारे में तब तक पता नहीं होता, जब तक कि यह दैनिक जीवन की उनकी गतिविधियों को प्रभावित करना शुरू नहीं करती है।
तथ्यों के अनुसार, कोई भी एलोपैथी दवा एड़ी के दर्द का स्थायी इलाज नहीं कर सकती और शरीर के एक ऐसे हिस्से के लिए जो हर रोज टूट फुट से गुजरता है ऑपरेशन भी कोई आदर्श विकल्प नहीं है। फिजियोथेरेपी एक धीमा और हर रोज चलने वाला उपचार है, इसलिए लोग किसी अन्य स्थायी तथा व्यावहारिक विकल्प की तलाश करते हैं।
होम्योपैथी दवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ बहुत ही प्रभावी विकल्प प्रदान करती है, जो सभी अलग-अलग लक्षणों और संकेतों के लिए काम कर सकती हैं। एड़ी के दर्द के मामलों में कैल्केरिया फ्लोरिका और रस टाक्सिकोडेन्ड्रन जैसे उपचार बहुत प्रभावी और व्यापक रूप से दी जाने वाली दवाएं हैं, जो मौसम और सनसनी के प्रति भी असरदार हैं। जब एक अनुभवी चिकित्सक के मार्गदर्शन में इन दवाओं को लिया जाता है, तो कोई साइड इफेक्ट नहीं होते हैं और इस समस्या को दोबारा होने से रोकने में भी मदद मिलती है।
(और पढ़ें - टांगों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज)
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संदर्भ
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- Suraia Parveen. A retrospective study of homoeopathic treatment in patients with heel pain with or without Calcaneal Spur. Year : 2017 Volume : 11 Issue : 1 Page : 64-73
- British Homeopathic Association. Podiatric homeopathy. London; [Internet]
- William Boericke. Homoeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1
- Wenda Brewster O’Reilly. Organon of the Medical art by Wenda Brewster O’Reilly. B jain; New Delhi