मिर्गी एक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र सम्बन्धी विकार है जिसके कारण व्यक्ति को दौरे पड़ने लगते हैं। इन दौरों को मिर्गी के दौरे कहा जाता है। दौरे पड़ने पर व्यक्ति के शरीर के अंग अपने आप हिलने लगते हैं जिसे देखकर आप सेहम सकते हैं।
अगर किसी को दौरे पड़ रहे हैं, तो आप उनकी सुरक्षा करने के अलाव ज्यादा कुछ नहीं कर सकते क्योंकि दौरे पड़ने पर व्यक्ति होश में नहीं होता और उसे पता नहीं चलता उसके आस-पास क्या हो रहा है।
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इस लेख में मिर्गी के दौरे क्यों पड़ते हैं, उनके लक्षण क्या होते हैं, मिर्गी के दौरे पड़ने पर क्या करना चाहिए और दौरे पड़ने पर डॉक्टर के पास कब जाएं के बारे में बताया गया है।
- मिर्गी का दौरा क्यों पड़ता है? - Mirgi ka dora kyu aata hai
- मिर्गी का दौरा आने पर क्या होता है? - Mirgi ka dora aane par kya hota hai
- मिर्गी के दौरे आने पर क्या करें? - Mirgi ka dora padne par kya karna chahiye
- मिर्गी का दौरा पड़ने पर डॉक्टर के पास कब जाए? - Mirgi ka daura padne par doctor ke pas kab jaye
- सारांश
मिर्गी का दौरा क्यों पड़ता है? - Mirgi ka dora kyu aata hai
मिर्गी के कारण और मिर्गी के दौरे पड़ने के कारण अलग-अलग होते हैं। मिर्गी के दौरे पड़ने के कारण वो होते हैं जिनके संपर्क में आने से या जिनकी वजह से आपको दौरे पड़ने शुरू हो जाते हैं। पहली बार दौरा पड़ने से व्यक्ति को बहुत अधिक तनाव (स्ट्रेस) हो सकता है। मिर्गी के दौरे पड़ने की वजह अनुवांशिक कारक या दिमाग को नुक्सान होना हो सकती है।
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अगर आपको मिर्गी की बीमारी है, तो इसका मतलब है कि आपको दौरे पड़ने की संभावना हमेशा रहती है और शराब, नींद की कमी, दवाएं, कुछ खाद्य पदार्थ, प्रकार के प्रति संवेदनशीलता या स्ट्रेस जैसे कारण दौरों को उत्तेजित कर देते हैं। हर व्यक्ति के लिए मिर्गी का दौरा पड़ने की वजह अलग-अलग होती है।
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आमतौर पर दौरे पड़ने के कारण दिमाग की बीमारी, ट्यूमर, अनुवांशिक समस्याएं और कुछ अन्य बीमारियां होती हैं। मिर्गी की समस्या जीवन में कभी भी हो सकती है, इसीलिए कभी-कभी दौरों की वजह पता लगाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन आपके डॉक्टर इस विषय में आपकी सहायता कर सकते हैं।
मिर्गी का दौरा आने पर क्या होता है? - Mirgi ka dora aane par kya hota hai
मिर्गी का दौरा पड़ने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याएं होती हैं जिनसे पता चलता है कि उसे दौरा पड़ रहा है। हर व्यक्ति को मिर्गी का दौरा पड़ने पर अलग समस्याएं और लक्षण होते हैं। ये समस्याएं निम्नलिखित हैं -
- बेहोश होना।
- व्यक्ति का अपने अंगों पर नियंत्रण खोना।
- मांसपेशियां सिकुड़ना। (और पढ़ें - मांसपेशियों की कमजोरी के लक्षण)
- कुछ महसूस न कर पाना।
- व्यक्ति का किसी बात पर कोई प्रतिक्रिया न देना।
- व्यक्ति का अपने होंठ या नाखून चबाना। (और पढ़ें - नाखून चबाने की आदत से कैसे होता है सेहत को नुकसान)
- गिर जाना।
- मल-मूत्र पर नियंत्रण न रहना। (और पढ़ें - पेशाब न रोक पाने के कारण)
- व्यक्ति के अंगों का जकड़ना।
- सचेत न रहना।
- कमजोरी आना। (और पढ़ें - कमजोरी दूर करने के घरेलू उपाय)
दौरा खत्म होने के बाद व्यक्ति वापस होश में आ जाता है और बातें करने लगता है, लेकिन उसे कुछ समय तक घबराहट हो सकती है। दौरा खत्म होने के बाद व्यक्ति को कुछ यद् नहीं रहता है और वह सामान्य व्यव्हार करने लगता है।
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मिर्गी के दौरे आने पर क्या करें? - Mirgi ka dora padne par kya karna chahiye
अगर आपके आस-पास किसी को मिर्गी का दौरा पड़ रहा है, तो आप मदद के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। ये स्थिति आपातकालीन लगती है, लेकिन ज्यादातर ये सामान्य ही होती है और ऐसी स्थिति में व्यक्ति की सुरक्षा करना ही सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि दौरा पड़ने पर व्यक्ति अपने शरीर के अंगों पर नियंत्रण खो देता है, जिससे उसे चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है।
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ज्यादातर ये दौरे कुछ सेकेंड से लेकर 2 या 3 मिनटों तक रहते हैं और इस समय में आप निम्नलिखियत तरीके से व्यक्ति को प्राथमिक उपचार दे सकते हैं -
- शांत रहें और आस-पास मौजूद लोगों को भी शांत करें। (और पढ़ें - दिमाग शांत करने के उपाय)
- व्यक्ति के आस-पास भीड़ न लगाएं।
- व्यक्ति के गले के आस-पास मौजूद कोई भी ऐसी वस्तु को हटा दें जिससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, जैसे ज्वेलरी, टाई या कपड़े आदि। (और पढ़ें - सांस फूलने के उपाय)
- व्यक्ति के आस-पास से ऐसी चीजें हटा दें जिससे उसे चोट लग सकती है, जैसे कांच, पत्थर या फर्नीचर अदि।
- व्यक्ति को नियंत्रित करने की कोशिश न करें।
- व्यक्ति के सिर को सहारा दें ताकि उसे सिर की चोट न लगे। (और पढ़ें - मस्तिष्क की चोट के लक्षण)
- व्यक्ति के मुंह को खोलने या बंद करने या जीभ को खींचने की कोशिश न करें, ऐसा करने से उसके मुंह में चोट लग सकती है। (और पढ़ें - मुंह के छालों का उपचार)
- व्यक्ति के मुंह में कुछ न डालें, इससे उसके दांतों व जीभ को नुकसान हो सकता है और ऐसा भी हो सकता है कि वह गलती से आपका हाथ काट ले। (और पढ़ें - कटने पर क्या करें )
- जैसे ही व्यक्ति को दौरे पड़ने शुरू हों, अपनी घडी में देखें और दौरे की अवधि का ध्यान रखें।
- दौरा खत्म होने के बाद व्यक्ति को उनकी एक तरफ कर के लिटा दें ताकि उनका श्वसन मार्ग खुला रहे और उन्हें सांस लेने में समस्या न हो। (और पढ़ें - सीपीआर देने का तरीका)
- दौरे के बाद व्यक्ति को अकेला न छोड़ें क्योंकि वे उलझन में हो सकता है।
मिर्गी का दौरा पड़ने पर डॉक्टर के पास कब जाए? - Mirgi ka daura padne par doctor ke pas kab jaye
वैसे तो अधिकतर मामलों में मिर्गी का दौरा पड़ना गंभीर समस्या नहीं होती है, लेकिन कभी-कभी इसके लिए डॉक्टर के पास जाने की जरूरत हो सकती है। निम्नलिखित स्थितियों में व्यक्ति को डॉक्टर के पास ले जाने की आवश्यकता हो सकती है -
- अगर पहली बार दौरा पड़ा है।
- दौरे की अवधि 5 मिनट से अधिक हो।
- अगर व्यक्ति को दिल की बीमारी या कोई अन्य समस्या है। (और पढ़ें - हृदय वाल्व रोग के लक्षण)
- अगर महिला गर्भावस्था में है।
- एक बार दौरा पड़ने के बाद कुछ ही समय में फिर से दौरा पड़ना।
- आपको पक्का न पता हो कि व्यक्ति को मिर्गी है या किसी और कारण से दौरा पड़ा है।
- अगर व्यक्ति को शुगर है। (और पढ़ें - शुगर कम करने के घरेलू उपाय)
- व्यक्ति दौरा पड़ने के बाद भी होश में न आए।
- अगर व्यक्ति पानी में है। (और पढ़ें - स्विमिंग के फायदे)
- दौरा पड़ने के बाद भी व्यक्ति ठीक से सांस न ले पाए। (और पढ़ें - सांस लेने में तकलीफ हो तो क्या करें)
नोट: प्राथमिक चिकित्सा या फर्स्ट ऐड देने से पहले आपको इसकी ट्रेनिंग लेनी चाहिए। अगर आपको या आपके आस-पास किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर या अस्पताल से तुरंत संपर्क करें। यह लेख केवल जानकारी के लिए है।
सारांश
मिर्गी के दौरे (Epileptic Seizures) मस्तिष्क की एक स्थिति होती है जिसमें असामान्य विद्युत गतिविधि के कारण अचानक और अनियंत्रित शारीरिक हरकतें होती हैं। ये दौरे संक्षिप्त या लंबे हो सकते हैं और हल्के झटकों से लेकर गंभीर ऐंठन तक हो सकते हैं। मिर्गी के दौरे के दौरान व्यक्ति को अचानक चेतना खोने, मांसपेशियों में ऐंठन, और व्यवहार में बदलाव का अनुभव हो सकता है। दौरे के कारण और प्रकार विभिन्न हो सकते हैं, और इनमें जेनेटिक कारक, मस्तिष्क की चोट, संक्रमण, या अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ शामिल हो सकती हैं।
मिर्गी का इलाज आमतौर पर एंटी-एपिलेप्टिक दवाओं के माध्यम से किया जाता है, जो दौरे की आवृत्ति और गंभीरता को कम करने में मदद करती हैं। कुछ मामलों में, शल्य चिकित्सा, विशेष आहार, या वैगस नर्व स्टिम्युलेशन जैसी विधियाँ भी इस्तेमाल की जा सकती हैं। मिर्गी से पीड़ित लोगों के लिए नियमित चिकित्सकीय निगरानी और जीवनशैली में बदलाव भी महत्वपूर्ण होते हैं। मिर्गी के दौरे को नियंत्रित करना व्यक्ति की जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और सामान्य जीवन जीने में मदद कर सकता है।