नया कोरोना वायरस जमी हुई सैमन मछली पर रहते हुए एक हफ्ते तक संक्रामक बन रह सकता है। चीनी शोधकर्ताओं ने आयात की गई सैमन मछलियों पर वायरस का पता लगाने से जुड़े एक अध्ययन के परिणाम सामने आने के बाद यह दावा किया है। गौरतलब है कि चीन में सैमन मछली को कोरोना वायरस के संक्रमण का संभावित सोर्स मानते हुए वैज्ञानिक काफी समय से इस पर वायरस के जीवित रहते हुए संक्रामक बने रहने की जांच-पड़ताल कर रहे हैं।
खबर के मुताबिक, साउथ चाइना एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी और गुआंगदोंग एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज के वैज्ञानिकों ने सैमन मछली के सैंपल में सार्स-सीओवी-2 वायरस पाए जाने की पुष्टि की है। इन विशेषज्ञों के मुताबिक, वायरस चार डिग्री के तापमान पर भी आठ दिनों तक जिंदा रह सकता है, जबकि सैमन मछलियों को आमतौर पर इतने तापमान पर ट्रांसपोर्ट नहीं किया जाता। यह जानकारी फिलहाल किसी मेडिकल जर्नल में प्रकाशित नहीं हुई है। इसकी समीक्षा होनी बाकी है। चीनी शोधकर्ताओं ने बीते रविवार को इस अध्ययन को रिलीज किया था। फिलहाल इसे मेडिकल शोधपत्र ऑनलाइन मुहैया कराने वाले प्लेटफॉर्म बायोआरकाइव पर जाकर पढ़ा जा सकता है।
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आयातित मीट आइटमों पर कोरोना वायरस को डिटेक्ट करने के लिए चीनी अधिकारी काफी समय से जांच-पड़ताल कर रहे हैं। ऐसे खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग और उनके आयाम में इस्तेमाल होने वाले कंटेनर्स को भी जांच में शामिल किया गया है। पैकेट बंद खाद्य पदार्थों या फूड आइटमों पर वायरस मिलने के मामले सामने आने के चलते जून महीने से ही इन सभी को कोविड-19 बीमारी का संभावित सोर्स मानकर अध्ययन किए जा रहे हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की कस्टम एजेंसी ने बताया है कि अब तक पांच लाख से ज्यादा सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं। इनमें से छह पॉजिटिव निकले हैं।
सैमन मछली में वायरस का पता लगाने वाले वैज्ञानिकों का कहना है, 'सार्स-सीओवी-2 से दूषित मछली आसानी से एक हफ्ते के अंदर एक देश से दूसरे देश में ट्रांसपोर्ट हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा है कि इतने समय तक वायरस संक्रामक भी बना रहता है। ऐसे में यह वायरस के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलने का एक सोर्स हो सकता है।' वैज्ञानिकों ने कहा है कि वायरस को अप्रभावी करने के लिए मछलियों की शिपिंग के दौरान उन्हें शून्य से चार डिग्री सेल्सियस के बीच के तापमान में रखा जाना चाहिए।
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