ब्लड प्रेशर नियंत्रण के लिए इस्तेमाल होने वाले बीटा-ब्लॉकर ड्रग्स कोविड-19 के इलाज में भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इटली और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने अध्ययन के बाद यह बात कही है। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया (यूओएसए) में कैंसर रिसर्चर डॉ. निर्मल रॉबिन्सन ने अपने सहयोगी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर एनीमल मॉडल के तहत किए ट्रायल में पता लगाया है कि बीटा-ब्लॉकर ड्रग प्रोप्रेनोलॉल फेफड़े में कैंसर को फैलने से रोकने में मदद करता है, जिसका इन्फ्लेमेटरी प्रभाव कोविड-19 जैसा ही है। इस जानकारी को मेडिकल जर्नल फ्रंटियर्स इन इम्यूनोलॉजी ने प्रकाशित किया है और कहा है कि वैज्ञानिकों के शोध परिणामों के समर्थन के लिए क्लिनिकल ट्रायल किए जाने चाहिए।

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यूओएसए में सेल्युलर-स्ट्रेस एंड इम्यून रेस्पॉन्स लैबोरेटरी के प्रमुख डॉ. रॉबिन्सन ने बताया कि हृदय से जुड़ी समस्याओं, एंग्जाइटी और माइग्रेन के इलाज में प्रोप्रेनोलॉल काफी इस्तेमाल की जाती है। हाल में हुए कुछ अन्य क्लिनिकल ट्रायलों में यह ड्रग अन्य मेडिकल कंडीशनों में भी प्रभावी पाया गया है, जिनमें कैंसर भी शामिल है। वहीं, कोविड-19 के इलाज में इस दवा के इस्तेमाल के समर्थन में डॉ. रॉबिन्सन कहते हैं, 'कोविड-19 के मरीजों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जैसे इन्फ्लेमेशन, क्योंकि सार्स-सीओवी-2 वायरस शरीर के इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी पैदा कर देता है। बीटा-2 ब्लॉकर्स इस इन्फ्लेमेशन को कम कर इम्यून सिस्टम में फिर से संतुलन लाने का काम कर सकते हैं।'

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प्रोप्रेनोलॉल समेत अन्य बीटा-ब्लॉकर किसी प्रकार के शारीरिक नुकसान के खिलाफ शरीर के प्राकृतिक फिजियोलॉजिकल रेस्पॉन्स को अस्थायी रूप रोकने या कम करने का काम करता है। इससे शरीर के कुछ विशेष हिस्सों में तनाव कम हो जाता है। परिणामस्वरूप इन्फ्लेमेशन कम होने लगती है। अपनी विशेषताओं के चलते इन ड्रग्स को ऑटोइम्यून डिसीजेज (जैसे रूमेटॉइड आर्थराइटिस) के लिए भी ट्रीटमेंट ऑप्शन के रूप में जाना जाता है। वहीं, कोरोना वायरस संक्रमण के संबंध में इसके इस्तेमाल को लेकर बात करते हुए डॉ. रॉबिन्सन कहते हैं, 'सार्स-सीओवी-2 एसीई2 प्रोटीन (रिसेप्टर) के जरिये कोशिकाओं में घुसता है, निचले रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को संक्रमित करता है, अत्यधिक इन्फ्लेमेशन पैदा करता है और कई अंगों के फेल होने की वजह बनता है। पहले से अन्य बीमारियों, जैसे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हृदय रोग, से परेशान मरीजों पर इसका खतरा ज्यादा होता है।'

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डॉ. रॉबिन्सन ने आगे कहा है, 'हमारा मानना है कि कोविड-19 के इन्फ्लेमेटरी लक्षणों को कम करने के लिए बीटा-2-एड्रेनर्जिक पाथवे (एक सेल मेंब्रेन) की एक संभावित टार्गेट के रूप में जांच की जानी चाहइए। इसके बाद जिस तरह हमें कैंसर के मामले में नई जानकारियां मिली हैं, उसी आधार पर कोविड-19 के इलाज में वैकल्पिक थेरेपी की खोज के लिए क्लिनिकल ट्रायल किए जाने चाहिए।'


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 में होने वाली इन्फ्लेमेशन को कम कर इम्यून सिस्टम को संतुलित कर सकता है बेटा-ब्लॉकर ड्रग 'प्रोप्रेनोलॉल': वैज्ञानिक है

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