कोविड-19 बीमारी से निपटने के लिए भारत सरकार ने हाल ही में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें एक अहम कदम देश की दो कंपनियों को 40,000 वेंटिलेटर्स का निर्माण करने का आदेश है। बीते हफ्ते सरकार ने बताया था कि कुछ दिनों में इन कंपनियों से कोविड-19 के मरीजों के लिए विशेष वेंटिलेटर्स की आपूर्ति होने लगेगी। लेकिन एक बड़ा सवाल यह उठता है कि फिलहाल देश के मौजूदा वेंटिलेटर्स की स्थिति क्या है। इस संबंध में प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट से वेंटिलेटर की व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।

अंग्रेजी अखबार, इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि देशभर में 20 से 30 हजार वेंटिलेटर्स की हालत बहुत खराब है। निजी हो या सार्वजनिक, दोनों क्षेत्रों में हजारों वेंटिलेटर्स ऐसे हैं, जिन्हें काम में नहीं लाया जा सकता। अखबार के मुताबिक, कोरोना वायरस संकट को लेकर हुई उच्चाधिकारियों के 11 समूहों की बैठक में यह बात निकल कर आई है। बता दें कि इन समूहों को कोरोना वायरस से निपटने के लिए अलग-अलग प्रकार की जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। इसी के तहत नीती आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत की अध्यक्षता में इन अधिकृत समूहों ने बैठक की थी और संकट के निपटान से जुड़े अलग-अलग पहलुओं पर बातचीत की। इसी में यह तथ्य निकल कर आया देशभर में हजारों वेंटिलेटर्स ठीक प्रकार से चलने की हालत में नहीं हैं।

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खबर के मुताबिक, बैठक में कन्फिडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के सदस्य भी मौजूद थे। इसमें उन्होंने इस मुद्दे पर बात की कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए जिन पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट यानी पीपीई को बेहद जरूरी बताया गया है, उनकी आपूर्ति किस प्रकार की जाए।

बैठक में मौजूद एक सूत्र के मुताबिक बातचीत के दौरान कहा गया, 'सर्विसिंग की कमी और पुर्जों की अनुपलब्धता की वजह से  देशभर में करीब 20 से 30 हजार वेंटिलेटर्स ऐसे हैं जो काम में लाने योग्य नहीं हैं। नीति आयोग इन वेंटिलेटर्स की सही जानकारी सीआईआई के साथ साझा करेगा और राज्यों के साथ सहयोग कर इन वेंटिलेटर्स को फिर से काम करने योग्य बनाएगा।' वहीं, सीआईआई वेंटिलेटर निर्माता और सर्विसिंग कंपनियों के साथ काम कर इस प्रक्रिया को अमल में लाएगा। 

भारत में वेंटिलेटर्स की संख्या पर बात करते हुए सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने अखबार से कहा, 'वर्तमान में भारत में वेंटिलेटर्स का निर्माण छोटी कंपनियों द्वारा किया जाता है। हमने इन छोटी और बड़ी कंपनियों के बीच एक गठबंधन कराया है ताकि आपूर्ति तेजी की जा सके।' चंद्रजीत बनर्जी ने यह भी बताया कि वेंटिलेटर्स का उत्पादन बढ़ाने के लिए सीआईआई रक्षा और ऑटोमोबाइल क्षेत्र की कंपनियों को भी बतौर विकल्प देख रहे हैं ताकि देश में वेंटिलेटर्स का बड़े स्तर पर निर्माण किया जा सके। गौरतलब है कि हाल में स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इन दोनों क्षेत्रों की कंपनियों से वेंटिलेटर बनवाने की बात कही थी।

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आईआईटी रुड़की ने बताया किफायती वेंटिलेटर
कोरोना संकट ने देश में स्वास्थ्य क्षेत्र के उत्पादों और सेवाओं की उपलब्धता को बड़ा मुद्दा बना दिया है। अगर भारत में कोविड-19 की वजह से बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़ते हैं, तो हालात से निपटने के लिए पर्याप्त डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के साथ ज्यादा से ज्यादा उपकरणों की भी जरूरत पड़ेगी। ऐसे में सरकारें तो अपने स्तर पर तैयारियां कर ही रही हैं, साथ में देश के तकनीकी संस्थान भी नए और किफायती विकल्प तलाशने और बनाने में लगे हुए हैं।

इस सिलसिले में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की और ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने मिल कर कोविड-19 के मरीजों के लिए नया और सस्ता वेंटिलेटर विकसित करने का दावा किया है। खबर के मुताबिक, आईआईटी-रुड़की का कहना है कि इस वेंटिलेटर का निर्माण न सिर्फ किफायती है, बल्कि इसे आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। संस्थान ने इस वेंटिलेटर को 'प्राण-वायु' नाम दिया है, जिसे आधुनिक उपकरणों से लैस किया गया है। इस वेंटिलेटर को तैयार करने वाले इंजीनियरों ने बताया कि इसकी मैन्युफैक्चरिंग लागत 25,000 रुपये है, जो सरकार द्वारा बनवाए जा रहे वेंटिलेटर्स से कम है। हालांकि देखना होगा कि सरकार इसके इस्तेमाल की मंजूरी देती है या नहीं।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोरोना वायरस संकट के बीच देशभर में 20 से 30 हजार वेंटिलेटर्स के खराब हालत में होने की बात सामने आई, आईआईटी-रुड़की ने सस्ता वेंटिलेटर बनाया है

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