आंखों के बिना इस रंगीन दुनिया को देखना मुश्किल है, लेकिन अगर आंखों में किसी तरह की समस्या हो जाए, तो ये दुनिया बेरंग हाे जाती है. इसलिए, आंखों को सुरक्षित रखना जरूरी है. आंखें बहुत ही कोमल होती हैं, इसके प्रति जरा-सी लापरवाही कई बीमारियों का कारण हो सकती हैं.
आंखों में कई तरह की समस्याएं होती हैं, जिसमें से एक है मोतियाबिंद. यह ऐसी बीमारी है, जो उम्र बढ़ने के साथ होती है, लेकिन कुछ लोगों को आंखों में चोट लगने या फिर किसी अन्य कारण से मोतियाबिंद हो सकता है. मोतियाबिंद होने पर डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं. इस सर्जरी में आंखों के लेंस को हटाकर कृत्रिम लेंस लगाया जाता है.
आज इस लेख में आप मोतियाबिंद लेंस की कीमत और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में विस्तार से जानेंगे -
(और पढ़ें - आंखों की रोशनी बढ़ाने का आयुर्वेदिक इलाज)
- मोतियाबिंद में लेंस की क्यों है जरूरत?
- मोतियाबिंद लेंस के प्रकार
- मोतियाबिंद लेंस लगाने के फायदे
- मोतियाबिंद लेंस लगाने का भारत में खर्च
- सारांश
मोतियाबिंद में लेंस की क्यों है जरूरत?
यहां हम क्रमवार तरीके से जानते हैं कि आंखों में लेंस की जरूरत क्यों होती है-
- आंखों का लेंस आंख का अहम और स्पष्ट भाग होता है. यह लाइट या फिर इमेज को रेटिना पर फोकस करने के लिए मददगार होता है. रेटिना आंखों के पिछले हिस्से पर प्रकाश के प्रति संवेदनशील ऊतक है. स्वस्थ आंखों का प्रकाश पारदर्शी लेंस के जरिए रेटिना तक पहुंचता है और जब यह प्रकाश रेटिना तक पहुंचता है, तो यह नर्व सिग्नल्स में बदल जाता है, जो मस्तिष्क की ओर भेजे जाते हैं.
- रेटिना मस्तिष्क को क्लियर इमेज भेजे, इसके लिए लेंस का क्लियर होना जरूरी है. वहीं, जब लेंस किसी कारण से क्लाउडी हो जाता है, तो इस स्थिति में प्रकाश लेंसों से स्पष्ट रूप से गुजर नहीं पाता है. इसकी वजह से सब कुछ धुंधला-सा नजर आता है. इस स्थिति को ही मोतियाबिंद कहा जाता है.
- धुंधली नजर होने की वजह से लोगों को पढ़ने, देखने, लिखने व छोटे-छोटे काम में परेशानी होने लगती है. इस तरह की परेशानी से बचने के लिए डॉक्टर आंखों का लेंस बदलने की सलाह देते हैं, जिसके लिए मोतियाबिंद की सर्जरी होती है. इस सर्जरी के दौरान डॉक्टर मरीजों को आर्टिफिशियल लेंस लगाते हैं, ताकि मरीज को साफ और स्पष्ट नजर आए.
(और पढ़ें - आंखों से पानी आने के घरेलू उपाय)
मोतियाबिंद लेंस के प्रकार
मोतियाबिंद सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले लेंस
सर्जरी में इस्तेमाल होने वाला लेंस कुछ इस तरह का होता है-
- मोतियाबिंद सर्जरी से एक या दो हफ्ते पहले डॉक्टर आंखों की जांच के लिए दर्द रहित अल्ट्रासाउंड परीक्षण करते हैं. इससे सभी तरह के इंट्राओकुलर लेंस (आईओएल) को निर्धारित करने में मदद मिलती है.
- मोतियाबिंद की सर्जरी कराने वाले लगभग सभी लोगों को आईओएल दिया जाता है. यह लेंस मरीजों की आंख के पिछले हिस्से पर प्रकाश केंद्रित करके दृष्टि में सुधार करता है. इस लेंस को मरीज न तो देख सकता है और न ही महसूस कर सकता है. साथ ही इस लेंस को किसी विशेष देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है. यह मरीज की आंख का स्थायी हिस्सा बन जाता है.
- मार्केट में विभिन्न विशेषताओं वाले विभिन्न तरह के आईओएल लेंस उपलब्ध होते हैं. सर्जरी से पहले मरीज नेत्र चिकित्सक से चर्चा करके किसी भी प्रकार का आईओएल अपनी आंखों में लगवा सकता है. हालांकि, इस दौरान यह ध्यान रखना चाहिए कि कौन-सा लेंस जीवनशैली के लिए सबसे अच्छी तरह से काम करता है. इसके अलावा, कीमत पर भी ध्यान देने की जरूरत होती है, क्योंकि कई बीमा कंपनियां सभी प्रकार के लेंसों के लिए भुगतान नहीं करती हैं.
- आईओएल प्लास्टिक, एक्रेलिक या सिलिकॉन से बने होते हैं. कुछ आईओएल पराबैंगनी प्रकाश को अवरुद्ध करते हैं. वहीं, कुछ आईओएल कठोर प्लास्टिक के होते हैं, जिसे बड़े चीरे के माध्यम से लगाया जाता है. इसे बंद करने के लिए टांके की आवश्यकता होती है.
- हालांकि, कई आईओएल लचीले होते हैं, जिसे एक छोटे चीरे से भी लगाया जा सकता है. इसमें कुछ टांके लगाने की भी आवश्यकता नहीं होती है. सर्जन इस प्रकार के लेंस को मोड़कर उस खाली कैप्सूल में डाल देता है, जहां प्राकृतिक लेंस लगा हुआ था.
(और पढ़ें - आंख लाल होने के घरेलू उपाय)
मार्केट में उपलब्ध लेंस
बाजार में निम्न प्रकार के लेस मौजूद हैं, जिन्हें मरीज की जरूरत के अनुसार लगाया जाता है-
- फिक्स्ड-फोकस मोनोफोकल
- एकोमोडेटिंग-फोकस मोनोफोकल
- मल्टीफोकल
- एस्टिग्माटिस्म करेक्शन
(और पढ़ें - आंखों में खुजली के घरेलू उपाय)
मोतियाबिंद लेंस लगाने के फायदे
मोतियाबिंद लेंस लगाने से धुंधली दृष्टि ठीक हो सकती है. साथ ही इससे कई फायदे हो सकते हैं. जैसे -
- मोतियाबिंद की समस्या होने पर लेंस लगाने से आपको साफ दिखाई देता है.
- इससे आपको बार-बार चश्मा लगाने की जरूरत नहीं होती है.
- जीवन को बेहतर तरीके से जिया जा सकता है.
- आंखों का स्वास्थ्य ठीक रहता है.
- ड्राइविंग करना सुरक्षित हो जाता है.
- हल्के अल्जाइमर के लक्षणों में सुधार होने की संभावना रहती है.
(और पढ़ें - आंखों में दर्द का घरेलू इलाज)
मोतियाबिंद लेंस लगाने का भारत में खर्च
मोतियाबिंद लेंस की कीमत उसकी क्वालिटी और स्थान पर निर्भर करती है. शुरुआती कीमत की बात कि जाए, तो यह 500 से 5000 हो सकती है. सरकारी अस्पतालों में मोतियाबिंद लेंस की कीमत कम है. वहीं, प्राइवेट अस्पतालों में इसकी कीमत अधिक हो सकती है. इसकी सटीक कीमत बताना मुश्किल है, क्योंकि कीमत स्थान, अस्पताल और क्वालिटी के आधार पर बदल सकती है.
(और पढ़ें - आंखों की एलर्जी के घरेलू उपाय)
सारांश
मोतियाबिंद की समस्या होने पर डॉक्टर मोतियाबिंद लेंस लगाने की सलाह दे सकते हैं. लेंस लगाने से आपकी दृष्टि में सुधार होता है, लेकिन ध्यान रखें कि आंखों में किसी भी तरह की परेशानी होने पर अच्छे डॉक्टर से संपर्क करें. वहीं, मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद अगर किसी तरह की परेशानी महसूस हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें, ताकि आगे होने वाली परेशानी से बचा जा सके. आंखों की समस्याओं से बचने के लिए अपनी डाइट पर भी ध्यान दें.
(और पढ़ें - आंखों में दर्द के का उपचार)
शहर के ओफ्थल्मोलॉजिस्ट खोजें
मोतियाबिंद लेंस का खर्च व जरूरत के डॉक्टर

Dr. Vikram Bhalla
ऑपथैल्मोलॉजी
14 वर्षों का अनुभव

Dr. Rajesh Ranjan
ऑपथैल्मोलॉजी
22 वर्षों का अनुभव

Dr. Nikhilesh Shete
ऑपथैल्मोलॉजी
5 वर्षों का अनुभव
