कभी-कभी हमारी भूख इतनी बढ़ जाती है कि हम बिना जाने परखे बेतहाशा खाना खाते हैं। इस तरह की आदत रखने वाले लोगों से जब आप इसका कारण पूछेंगे तो जवाब आएगा कि ये हम टेंशन और स्ट्रेस को दूर भगाने के लिए ऐसा करते हैं। लोग साल में एकाध बार या कभी कभार की गई ओवरईटिंग को बिंज ईटिंग डिसऑर्डर समझते हैं। बता दें कि जिन लोगों को ये ईटिंग डिसऑर्डर होता है वो एक रेगुलर पीरियड में जैसे हफ्ते में एक बार और तीन महीने से ज्यादा के अंतराल पर बहुत ज्यादा मात्रा में खाना खाते रहते हैं।

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बहुत ज्यादा चिंता, दुख और परेशानियों का अनुभव करना
बिंज ईटिंग डिसऑर्डर में व्यक्ति अपनी खाने की आदत पर नियंत्रण नहीं रख पाता। वो तब तक खाते हैं जब तक खा-खाकर बीमार न पड़ जाएं। ऐसे लोग अक्सर अकेले बैठकर खाना खाते हैं और भूख न लगने पर भी जरूरत से ज्यादा खा जाते हैं। इसके बाद शर्म, अपराधबोध और उदासी जैसे मानसिक लक्षणों से घिर जाते हैं। अपने इस व्यवहार की वजह से लोग दोस्तों और परिजनों से बातें छुपाने लगते हैं।

इसे ब्युलिमिया न समझें, ये अलग है
ब्युलिमिया और बिंज ईटिंग डिसऑर्डर दोनों बीमारियों में लोग जमकर खाते हैं। ब्युलिमिया में भी लोग रोजाना ज्यादा खाना खाते हैं और उनके मन में भी नेगेटिव विचार आते रहते हैं। ऐसे लोगों का अपनी क्रियाओं पर नियंत्रण नहीं रहता। बाद में उन्हें अपनी इस अजीब आदत पर शर्म आने लगती है। ब्युलिमिया में लोग ओवरईटिंग के बाद दवाई लेकर या एक्सरसाइज कर शरीर को बैलेंस कर लेते हैं, जबकि बिंज ईटिंग में इस तरह की कोई प्रतिक्रिया लोगों में दिखाई नहीं देती।

सबसे ज्यादा कैसे लोगों को खतरा
बिंज ईटिंग डिसऑर्डर उम्र के किसी भी पड़ाव में, किसी भी लिंग, वजन वाले इंसान को हो सकता है। समय के साथ ये अमेरिका का सबसे आम ईटिंग डिसऑर्डर हो गया है। ज्यादातर महिलाएं ही इस डिसऑर्डर से ग्रसित होती हैं। 60 लाख से भी ज्यादा अमेरिकी इस बीमारी के शिकार होते हैं। 2 प्रतिशत पुरुषों और 3.5 प्रतिशत महिलाओं ने कभी न कभी इस डिसऑर्डर का सामना किया है। मध्यवर्गीय उम्र के पुरुष ज्यादातर इस डिसऑर्डर से ग्रसित होते हैं। 1.6 प्रतिशत किशोर बिंज ईटिंग डिसऑर्डर से जूझते हैं।

वजन पर बिंज ईटिंग का असर
इतना खाना वजन बढ़ा सकता है। इस डिसऑर्डर का सामना कर रहे दो तिहाई लोग मोटापे के शिकार होते हैं। एक स्टडी के अनुसार जो लोग वजन घटाने का ट्रीटमेंट लेते हैं, उनमें से 30 प्रतिशत लोगों को ये डिसऑर्डर हो जाता है। जिन लोगों का वजन ज्यादा होता है उन्हें हृदय रोग, हाई बीपी और टाइप 2 डायबिटीज जैसी बीमारियां भी होती हैं।

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ये डिसऑर्डर मेंटल हेल्थ से सीधा संबंध रखता है
जो लोग बिंज ईटिंग डिसऑर्डर से ग्रसित रहते हैं वो भावनात्मक और मानसिक परेशानियों जैसे चिंता, बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझते हैं और शराब आदि का बहुत सेवन करते हैं। ऐसे लोगों को हमेशा स्ट्रेस, अनिंद्रता, आत्म सम्मान में गिरावट और अपनी इमेज को लेकर परेशानी रहती है।

आखिर क्यों होता है बिंज ईटिंग डिसऑर्डर
इसके पीछे के कुछ मुख्य कारण आदमी के जीन्स, मनोदशा और परिवारिक पृष्ठभूमि हो सकते हैं। जो लोग मोटापे से बचने के लिए डाईटिंग का सहारा लेते हैं उनको ये डिसऑर्डर हो सकता है। डाईटिंग ही इस बीमारी का असल कारण है इस बारे में कोई ठोस सबूत नहीं मिल पाया है। कुछ लोग खाने की तस्वीरें और खुशबू से इतनी जल्दी आकर्षित हो जाते हैं कि खुद पर काबू नहीं रख पाते। अपने किसी प्रियजन को खोना और बढ़ते वजन की वजह से भी ये डिसऑर्डर पनप सकता है।

बिंज ईटिंग से आसानी से निजात पाया जा सकता है
खुशी की बात ये है कि इस डिसऑर्डर को समय रहते पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। सबसे पहले बीमारी की जांच करवाएं। इस दौरान डॉक्टर आपको आपके खाने की आदतों से संबंधित सवाल पूछेगा। इसके अलावा फिजिकल टेस्ट भी करवाए जाएंगे। आपसे आपके भावनात्मक स्वास्थ्य संबंधी सवाल पूछे जाएंगे, आप अपने बारे में क्या सोचते हैं और खाने से आपको किस प्रकार संतुष्टि मिलती है। पूरी जांच के बाद ही आपका इलाज करवाया जाएगा।

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ट्रीटमेंट में किन-किन चीजों पर ध्यान दिया जाता है
एक मनोवैज्ञानिक से खुलकर बात करें और अपनी भावनात्मक परेशानियों के बारे में बताएं। इस बीमारी में दो तरह की थेरिपी दी जा सकती है। कॉग्नेटिव बिहेविरयल थेरिपी जिसका उद्देश्य आपके दिमाग में आ रहे नेगेटिव विचारों को खत्म करना है। दूसरी है इंटरपर्सनल थेरिपी, जिसमें रिश्तों संबंधी परेशानियों के बारे में गाइड किया जाता है। आप एक न्यूट्रिशनिस्ट (पोषक आहार विशेषज्ञ) की सहायता से सही खान-पान के बारे में जानकारी ले सकते हैं।

किस तरह की मेडिकेशन कारगर साबित हो सकती है
काउंसलिंग के साथ-साथ आप एंटीडिप्रेसेंट और खास तरह की एंटी सिज्योर दवाइयां ले सकते हैं। ये दवाइयां आपकी बार-बार लगने वाली भूख को नियंत्रित करती हैं। एडीएचडी (अटेनसन डेफिसिट / हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) के दौरान मरीजों को दी जाने वाली व्यवेंस पहली ऐसी दवाई है जो बिंज ईटिंग डिसऑर्डर में भी इस्तेमाल की जा सकती है।

इलाज से परहेज अच्छा
अगर आप बिंज ईटिंग डिसऑर्डर से खुद को बाहर निकालना चाहते हैं, तो कुछ जरूरी एक्शन ले सकते हैं। जैसे अपनी गतिविधियों पर नजर रखें। अगर आप अक्सर चिंतित रहते हैं, खुद को लेकर शर्म महसूस करते हैं और अपना आत्म सम्मान खो चुके हैं, तो संभव है कि आपको ये डिसऑर्डर हो गया है। अगर परिवार के किसी सदस्य में भी लक्षण दिखते हैं तो जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाएं।

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