भगन्दर वह स्थिति होती है, जब गुदा के आसपास फोड़े हो जाते हैं. कई बार इनसे पस या खून भी निकलने लगता है. इसमें दर्द भी होने लगता है, जिससे स्थिति और तकलीफदेह हो जाती है. बाउल मूवमेंट यानी मल त्याग करने में भी दिक्कत आने लगती है और थकान के साथ कई बार बुखार भी आ जाता है. भगंदर को ठीक करने में दिव्य अर्शकल्प वटी, दिव्य अभयारिष्ट और दिव्य सप्तविंशति गुग्गुल जैसी पतंजलि की दवाइयां मददगार साबित हो सकती हैं.
आज इस लेख में आप पतंजलि की भगंदर की दवा के बारे में जानेंगे-
(और पढ़ें - भगन्दर का आयुर्वेदिक इलाज)
पतंजलि की भगंदर की दवा
भगंदर के इलाज में दिव्य त्रिफला गुग्गुल, दिव्य आरोग्यवर्धिनी वटी और दिव्य अभयारिष्ट जैसी पतंजलि की दवा कारगर साबित होती है. आइए, विस्तार से जानते हैं कि पतंजलि की भगंदर की दवा कौन-कौन सी हैं और यह भगंदर को दूर करने में कैसे मदद करती हैं-
दिव्य अर्शकल्प वटी
भगंदर के इलाज के लिए दिव्य अर्शकल्प वटी एक बढ़िया दवा है. इसे हर्बल एक्सट्रैक्ट के कॉम्बिनेशन से बनाया गया है और इसमें सूजन को ठीक करने की क्षमता है. यह भगंदर की वजह से होने वाले दर्द और डिस्कंफर्ट से भी राहत दिलाने में सहायता करती है. अर्शकल्प वटी में लैक्सेटिव गुण भी है, जो पेरीस्टाल्टिक मूवमेंट को बढ़ाकर मल त्याग के दौरान दर्द नहीं होने देता है. इस तरह से यह पाचन में सुधार, गैस बनने में कमी और डिस्कंफर्ट को कम करने में अहम भूमिका निभाता है.
इससे कब्ज की समस्या भी दूर भागती है, जिससे मल त्याग करने में आसानी होती है और भगंदर के दर्द व डिस्कंफर्ट से छुटकारा भी मिलता है. इसमें रसौत शुद्ध, छोटी हरड़, बकयन, निमोली, रीठा, देसी कपूर, मकोय व एलोवेरा के एक्सट्रैक्ट पाए जाते हैं.
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दिव्य अभयारिष्ट
आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन दिव्य अभयारिष्ट पाचन तंत्र में सुधार लाते हुए शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाती है. नैचुरल एक्सट्रैक्ट्स से तैयार यह दवा लैक्सेटिव गुणों की वजह से पेरीस्टाल्टिक मूवमेंट को बढ़ाते हुए मल त्याग को आसान बनाती है. अभयारिष्ट के सेवन से गैस भी नहीं बनती है और कब्ज से छुटकारा भी मिलता है. इस तरह से दिव्य अभयारिष्ट भगंदर के इलाज में मददगार है, क्योंकि कब्ज होने की स्थिति में भगंदर और ज्यादा तकलीफदेह हो जाता है. इसे हरड़, मुनक्का, महुआ, वैविदंग, गुड़, गोखरू, निशोथ, धनिया, धैफूल, इंद्रयानमूल, चव्य, सोंठ, दंतिमूल और मोचरस को मिलाकर तैयार किया गया है.
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दिव्य सप्तविंशति गुग्गुल
सप्तविंशति गुग्गुल त्वचा, खून, आंत, मलाशय और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए अच्छी दवा है. इसका इस्तेमाल मुख्य तौर पर इंफेक्शन को ठीक करने और पस को कम करने के लिए किया जाता है. यही वजह है कि भगंदर के इलाज में यह दवा कारगर औषधि के तौर पर काम करती है. इसे सोंठ, मिर्च, पिप्पली, नागरमोठ, वैविदंग, गिलोय, चित्रकमूल, बड़ी इलायची, हल्दी, आंवला, हरड़, बहेड़ा व शुद्ध गुग्गुल जैसी जड़ी बूटियों के मिश्रण से तैयार किया गया है.
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दिव्य उदरकल्प चूर्ण
यह चूर्ण पेट को साफ करके कब्ज को ठीक करने में मददगार है. यह आंतों के लिए किसी भी तरह की समस्या नहीं पैदा करता है और पाचन क्षमता में सुधार लाता है. इसे मुलेठी, सानिया, रेवनदाचीनी, हरारा, गुलाब के फूल और क्रिस्टल शुगर के मिश्रण से बनाया गया है. शानदार लैक्सेटिव दवा होने की वजह से यह भगन्दर के इलाज के लिए सही है.
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दिव्य त्रिफला गुग्गुल
त्रिफला गुग्गुल बवासीर और भगंदर की असरकारी औषधि है, जो वात संबंधित दर्द, पैरालिसिस, सियाटिका के इलाज में भी सहायता करती है. इसे हरड़, बहेड़ा और आंवला के क्वाथ के साथ शुद्ध गुग्गुल के पाउडर से तैयार किया गया है. यह अग्नि की गतिविधि को बढ़ाते हुए यूट्रस को स्टिमूलेट करता है और खून में व्हाइट ब्लड सेल्स के विकास में भी मददगार है. साथ ही यह ड्यूरेटिक, श्लेष्मा स्रावी और कीटनाशक भी है. इस तरह से यह दवा भगन्दर के कारण होने वाले सूजन को भी कम करती है और दर्द से भी राहत दिलाती है.
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दिव्य आरोग्यवर्धिनी वटी
आरोग्यवर्धिनी वटी एक असरकारी आयुर्वेदिक दवा है, जो व्यक्ति के शरीर में ऊर्जा और मजबूती को बढ़ाने के साथ ही इम्यूनिटी को भी बूस्ट करती है. इसे शुद्ध गंधक, शुद्ध शिलाजीत, शुद्ध गुग्गुल, चित्रक मूल, कुटकी, हरड़ बहेड़ा व आंवला जैसी बूटियों के मिश्रण से तैयार किया गया है. यही वजह है कि इसमें मल्टीविटामिन गुण और पोषक तत्व पाए जाते हैं. इन्हीं गुणों की वजह से आरोग्यवर्धिनी वटी भगंदर जैसे त्वचा संबंधी रोगों के इलाज में अहम भूमिका निभाती है. यह पूरी तरह से नैचुरल फॉर्मूलेशन है और इसका कोई भी साइड इफेक्ट नहीं होता है.
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दिव्य शुद्धि चूर्ण
इस चूर्ण का इस्तेमाल अपच, कब्ज, पेट फूलने, भूख न लगने जैसी समस्या के इलाज में किया जाता है. इसे हरड़, बहेड़ा, भूमि आंवला, टंकण भस्म, जीरा, हींग और इंद्रायण जैसी जड़ी बूटियों के कॉम्बिनेशन से तैयार किया जाता है. इसके इस्तेमाल से कब्ज को कम करके गुदा पर दबाव कम पड़ता है. इस तरह से यह चूर्ण भगन्दर में होने वाली तकलीफ को कम करती है.
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दिव्य कायाकल्प तेल
यह तेल खुजली की समस्या को कम करते हुए त्वचा को डिस्कम्फर्ट से बचाता है. भगन्दर की वजह से गुदा के पास जो फोड़े हो जाते हैं, उस पर इस एंटीसेप्टिक तेल को लगाने से राहत मिलती है. इसमें बकुची, पंवाद बीज, हल्दी, करंज बीज, नीम छाल, हरड़, बहेड़ा, आंवला, गिलोय, काली जीरी, गोमूत्र व तिल के तेल जैसी सामग्रियां हैं.
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सारांश
भगन्दर के इलाज में दिव्य अभयारिष्ट, दिव्य त्रिफला गुग्गुल और दिव्य अर्शकल्प वटी जैसी पतंजलि की दवा अहम भूमिका निभाती हैं. इनके इस्तेमाल से भगन्दर की समस्या दूर होती है और व्यक्ति को राहत मिलती है, लेकिन किसी भी पतंजलि की भगन्दर की दवा के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि जरूरी नहीं है कि हर व्यक्ति पर एक ही दवा का असर एक जैसा ही हो.
अस्वीकरण: ये लेख केवल जानकारी के लिए है. myUpchar किसी भी विशिष्ट दवा या इलाज की सलाह नहीं देता है. उचित इलाज के लिए डॉक्टर से सलाह लें.
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