बिल्व तेल आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से तैयार हर्बल ऑयल है. इसका इस्तेमाल कान की विभिन्न समस्याओं जैसे- कान में दर्द, लगातार बजना, कान में सीटी जैसी आवाज आना, सुनने में परेशानी इत्यादि का इलाज करने के लिए किया जाता है. इसे बिल्व का इस्तेमाल करके तैयार किया जाता है. इस तेल में रोगाणुरोधी, एंटीसेप्टिक और कसैले गुण मौजूद होते हैं. ऐसे में यह तेल कई तरह की समस्याओं को दूर करने में प्रभावी हो सकता है. इस तेल का इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें, ताकि इससे होने वाले नुकसान से बचा जा सके.
आज इस लेख में बिल्व तेल के फायदे, नुकसान और उपयोग के बारे में विस्तार से जानेंगे -
(और पढ़ें - क्षार तेल के फायदे)
- बिल्व तेल के फायदे
- बिल्व तेल को कैसे बनाया जाता है?
- बिल्व तेल का इस्तेमाल कैसे करें?
- बिल्व तेल से जुड़ी सावधानियां
- सारांश
बिल्व तेल के फायदे
बिल्व तेल का इस्तेमाल कान की कई तरह की परेशानियों, जैसे- सुनने में कठिनाई, कान बहना, कान में दर्द इत्यादि को दूर करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा, इस तेल के कई अन्य फायदे हो सकते हैं -
- बहरापन दूर करने में प्रभावी है बिल्व तेल
- सुनने में कठिनाई को दूर करने में असरदार
- कान बहना रोकने में प्रभावी
- कान के संक्रमण को दूर करने में मददगार
- कान में दर्द
- टिनिटस में होने वाली समस्याओं को दूर करने में बिल्व तेल प्रभावी हो सकता है.
- तेल बनाने में इस्तेमाल होने वाले बिल्व के फल के गूदे में शर्करा, सैपोनिन, टैनिन और फ्लेवोनोइड्स होता है. यह गुण रोगजनक बैक्टीरिया के विकास को रोकता है और सूजन को कम करने में प्रभावी होता है.
- इसे बनाने में सरसों का तेल भी इस्तेमाल किया जाता है. यह तेल स्वाद में गर्म और तीखा होता है, जो घाव को भरने में प्रभावी है. यह तेल दर्द और सूजन से राहत दिला सकता है.
- सरसों का तेल कान में डालने से गंदगी दूर होती है. इसका उपयोग कान के रोगों, जैसे - कान से मवाद निकलना, सूजन, संक्रमण, कान का दर्द आदि को दूर करने के लिए किया जाता है. इसमें जीवाणुरोधी और एंटी-फंगल गुण भरपूर रूप से मौजूद होते हैं.
(और पढ़ें - अणु तेल के फायदे)
बिल्व तेल को कैसे बनाया जाता है?
आयुर्वेद में बिल्व तेल को तैयार करने के लिए मुख्य रूप से तीन सामग्रियों की आवश्यकता होती है. आइए, बिल्व तेल को बनाने की विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं -
सामग्री:
- 3 किलो सरसों या तिल का तेल
- गौमूत्र के साथ 1 किलो त्रिचुरेटेड बेलगिरी
- 6 किलो बकरी का दूध
बनाने की विधि:
- सबसे पहले बेलगिरी यानि बेल के फल को गौमूत्र में पीसकर पेस्ट तैयार कर लें.
- इसके बाद तेल, बकरी का दूध और पेस्ट को मिक्स कर लें.
- लीजिए आपका बिल्व का तेल तैयार है.
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बिल्व तेल का इस्तेमाल कैसे करें?
इसे इस्तेमाल करने का तरीका यहां क्रमवार तरीके से बताया गया है -
- इस तेल को ईयर ड्रॉप के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
- बिल्व तेल की दो बूंद को ईयर ड्रॉयर या फिर रुई की मदद से कान में डालें.
- दिन में दो बार बिल्व तेल को कान में डालने से काफी लाभ होता है.
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बिल्व तेल से जुड़ी सावधानियां
बिल्व तेल का कान में इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर लें. हालांकि, यह तेल प्राकृतिक अवयवों से तैयार किया जाता है. ऐसे में इस तेल से नुकसान होने की आशंका कम है. फिर भी कुछ अपवाद मामलों में इससे कान में होने वाली समस्याएं ट्रिगर हो सकती हैं. खासतौर पर ऐसे लोगों को जिन्हें बिल्व, सरसों के तेल या फिर बकरी के दूध से एलर्जी हो. इसके अलावा, कान में किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है, जैसे -
- कान की परेशानी को ट्रिगर करने वाली चीजों को पहचानने की कोशिश करें.
- संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता में सुधार के लिए खूब सारे ताजे फल, सब्जियां और साबुत अनाज का सेवन करें.
- आहार में प्राकृतिक मूत्रवर्धक चीजें शामिल करें.
- आहार में जिंक युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे - तिल, कद्दू के बीज व साबुत अनाज इत्यादि शामिल करें.
- रोजाना पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ (पानी, दूध और फलों का रस) पिएं. कॉफी, चाय और शीतल पेय से दूरी बनाएं.
- तंबाकू के सेवन से बचें.
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सारांश
बिल्व तेल आयुर्वेदिक हर्बल ऑयल है. इसका इस्तेमाल कान में होने वाली कई तरह की समस्याओं जैसे- कान बहना, कान में दर्द, कान में सूजन इत्यादि को दूर करने के लिए किया जाता है. बस ध्यान रखें कि डॉक्टर या फिर आयुर्वेदाचार्य की सलाह पर ही इस तेल का इस्तेमाल करें, ताकि इस तेल के सही इस्तेमाल की जानकारी हो सके.
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